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________________ જૈન કેન્ફરન્સ હેરલ્ડ. [ न्युमारी. राजा नही बनायाहै; हमने उनके नहार, शेर या भगेरा होने के कारण हमारे समाज के छेली, बकरी, लरडीको उनके अरपण नही कियाहै; उनके आइना महलमें रहनेसे हमने उनको अपनी समाजका आइना, शीशीया काच नही बनायाहै। उक्त बाबु साहबके गायन कलामें प्रविण होनेकी वजहसे हमने अपनी समाजके सितारका तार या खुटी उनके हाथमें नहीं दोहै; उक्त बाबू साहवके कइ धर्म पुस्तके और स्तवनावलियोंके बनानेकी वजहसे हमने उनके हाथमें अपने समाजकी स्तवना नहीं दीहै; हमने अपनी समाजकी अथाग दोलत उनके सिपुर्द इस खयालसे नही कीहै कि उन्होंने अपने घरसे करीब ३५०००) रुपये सड़कोंके बनानेमें, कुंवे, तालावों के खुदवाने और बनवानेमें, ख्याल तमाशो में, बडे बडे आदमीयोकी स्वागतम या ऐ डैस पेश करनेम खर्च करदीहा-- हमने अपने संघरुपी तीर्थको यात्रा करनेको उनको इस गरजे नही न्योताहै कि उन्होंने कइ वार तीर्थ यात्रा कीहै. हमने मुर्शिदाबाद अजीमगंज निवासी राय बहादुर बाबु शिताबचंदजी नहारको अपनी अहमदावादकी पांचसी कोनफरेन्सका प्रमुख इस वजहसे बनाया हैकि वह दिलके साफ ओर सादा मिजाज है, धर्ममें द्रढ हे, वैभवके होते हुवे घमंड और मगरुर उनके पले नहिं बंधाहै संघकी भक्तिमें चस्त और कमर बांधे हुवह, अपनी गोद लेनेवाली माताके फरमानदार और सुशील पुत्रह; जिनके हदयमें दयाद्रढ होकर बैठी हुईहै जिनोने दया लाकर अपने काश्तकारोको कहतके वक्त हासल माफ कियाहै, जिन्होंने कहतके वक्त भूखसे मरते हुवे मनुष्योंका यथा शक्ति मदद देकर मत कटसे बचाकर अपने अशुभ कर्मोको खपाया: जिन्होंने हादीके साथ बीमार आदमीयोंके लिये औषदालय खोलाहै, जिन्होंने आमरिआयाके काम के लिये अक हाल अर्पण कियाहैः जिन्होंने विद्यादान को अपना मुख्य काम समज्ञाहै, उक्त बा साहबने उपर लिखे हुये काम में करीब सवा लाख रुपयोंके खर्व करके अपने जीवणको सफल कियाहै हमने अपनी महासभाका काम अबकी दफे असे सज्जन श्रावकके हाथ में दियाहै कि जो मानकी अभिलापान रखते हुवे अपने खरे अन्तः करणले जैन समाजकी उन्नति चाहनेवालाहै और हमको उम्मीद पडतीहै कि अगर अमदावाद निवासी जैनी सेठ साहुकार जैन समाजकी उन्नतिके वास्ते किसी अपूर्व काम करनेपर कमर बांधेगे तो हमारे प्रमुखभी किसी तरफ न्यून नहीं उतरेंगे हमचाहतेहैं कि उक्त नगरकी महीमांके सुवाफिकही कोइ कार्य आयंदा सभा , असा हेकि जिसको हमारी समाज हमेशा यद रखे. अन्तमें हम आशा करतेहै कि हमारे प्रमुख गत प्रथम तीन सभाओ के प्रमुखो की जैसे सिर्फ इस महासभामही शामिल होकर आयंदा हरगिज गैरहाजिर नही रहेंगे बल्कि आयंदा सभाओमेभी पधार कर सभाको सुशोभित करेंगे. કેન્ફરન્સ ઓફીસમાં ચાલતું કામકાજ. નિરાશ્રિત ખાતું. सुस्तीद्वा२ मातु::-- ३. २००-०-० पासीता माविमने चैत्र- १-१-० ४ २८३ पारसस पालीताથી માગશર સુધી માસ ૮ના. છે ક્યું તેના. 3-१२-० अमहावाहनानने त्यां- . ७५-०-० भी. २१० वरानने ५॥२ना ની ટીકેટ અપાવી. ૧૨૦-૦-૦ તુકારામ હનુમંતરાવને પ3-०-० बीमडी तामे याना १ २ भास . ने 32 सपावी. १०-१०-८- तु मने ममहावा - ૭-૬-૦ ગુજરાનવાળાના ૧ૌનને વશી. ૧૨ ની ટીપ માટે મોકલ્યા
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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