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________________ ॥अहिंसा परमो धर्म ॥ राधनपुरके दयामय मान्यवर एडमिनिस्ट्रेटर साहिब बहादुरकी निज आज्ञानुसार - राधनपुर खोडाडोर पिंजरापोल लोटरी. इस लोटरीका डाइङ्ग ता० २२ डीसेम्बर सन १९०७ को प्रतिष्ठित मान्यवरोंकी उपस्थितिमें निकाला जावेगा. इनामकी संख्या २५१४. - पहिला इनाम रु. १००००. ऐसा रु० ४०.००बांट दिया जायगा. अहिंसा परमो धर्मः यह सिद्धान्त जैन और हिन्दु जाति के सर्व लोगों के लिये एकसा है जिस से सर्व सज्जन इस खोडा ढोर पिंजरापोल सम्बन्धी महत् कार्य में हिस्सा लेकर तन मन धन से सहायक होंगे और टिक्ट खरीदने में विशेष उत्साह दर्शायेंगे क्योंकि काम - में सहायता देना हरेक मनुष्यका कर्तव्य है एक एक रुपये से कमी नहीं हो. ग्रह. अर्थ अयोग्य स्थान में नहीं जायगा नसीब अजमाने का यह एक उत्तम मौका है और यह व्यय खोने का मार्ग नहीं है “ स्वार्थ और परमार्थ ” तैसे ही धर्म का सहायतामें और निज को लाभ * है धर्म के काम में विलम्ब अनुचित है जैसे कि काल करे सो आज कर, आज करन्ता अब्ध । अवसर वीत्यो जाति है, फेर करेगा कब्ब ।। इनाम मिलेगा तो फायदा होगा और न मिलने पर भी पश्चात्ताप नहीं होगाः जिन के अपने नसीब अजमाने की रख्वाहिश हो हर्ष के साथ टिकट खरीदें । टिक्ट की विकरी और कर्माशन॥ - लाटरी के टिक्ट खोटा ढोर राधनपुर पिंजरापोल लाटरी आफीस में से और एजन्टो ... के पास से मिलेंगे। कमीशन दश टिक्ट से सो टिक्ट तक १०) फी सैकडा और सौ से सहस्त्र - टिक्ट तक ॥) और अधिक और सहस्त्र से ऊपर की सैकड़ा १५) रु० मिलेगा द्रव्य सन्बन्धी अथवा दूसरे विषय में पत्र व्यवहार ओनररी सेक्रेटरी के पते से करना चाहिये; मनीयार्डर से रुपया भेजने में आये तो कुपन में बराबर अपना नाम ग्राम लिखना चाहिये ।।
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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