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________________ 'डान्३रन्सनु' 'ष'धारण. [ २७३ सेक्रेटरीआनी नीमणुकना संबंधमां पैसा के डीग्री तरफ लक्ष आपवुं लाभकर्त्ता नथी, परंतु प्रत्येक व्यक्तिनी कामकरवानी होंश, चातुर्य, व्यवहार दक्षपणुं, कर्तव्य परायणतानुं भान अने काम करवानी चीवट विगेरे बाबतोपर लक्ष्य राखी सेक्रेटरी नामवा योग्य लागे छे. hain aad धनवानमां नवीन योजना करवानी आवडत होती नथी अने डीग्रीओ धरावनार अभिमानी अथवा बेदरकार होय छे अने बन्ने वर्गमां बहु लायक माणस होय छे माटे आपणे मात्र धन अथवा मात्र ज्ञानने योग्यतानो विषय न गणतां कार्यदक्षताने मुख्य पणुं आपवुं. आमां पण बहु प्रकारना विचारांनी जरुर छे. कोमने हालमां बन्ने प्रकारना माणसोनो खप छे. परंतु दरेक आगेवाने खास लक्ष्यमां राखतुं के कोमना आगेवान थवाने लायक अनुभवी विद्वानोज होवा जोइए. दरेक कार्य पैसा वगर थवं मुश्केल छे तेथी विद्वानोए दरेक कार्यनो यश धनवानने अपात्रवो, परंतु हाथमां दीवो लइने रस्तो शोधवो होय त्यारे कोमना भला खातर तेओए आगळं चालबुं. कार्यदक्षता अने पैसाने खास विरोध नथी, पण तेने खास संबंधपण नथी; तेथी बन्नेनो संयोग डहापणथी करवानी जरूर छे. १८०७ ] हाल दरेक कार्यो सेक्रेटरीओ पासेथी थवानी आशा राखवामां आवे छे. कोन्फरन्से शुं कर्यु ? ओवो सवाल घणी जगोएथी मुकाय छे. आवो सवाल पुछावानो हेतु मात्र एकज जणाय छे के प्रत्येक व्यक्ति पते अमुक कार्य करवा माटे जवाबदार छे तेवो ख्याल धरावती नथी. तेओ अंतःकरणथी एमज माने छे के सेक्रेटरीओए आखुं वरस काम करवुं अने अमने वरसनी आखरे रिपोर्ट आपको आवा प्रकारनी मान्यताथी बहुज हानि थाय छे. कोन्फरन्स ए प्रत्येक व्यक्तिओनो सरवाळो छे अने प्रत्येकना कार्यनो सरवाळो ते कोन्फरन्सना कार्यनो सरवाळो छे. ए स्वतः सिद्ध नियमने बदले सेक्रेटरीओना कार्यनो सरवाळो ए कोन्फरन्सना कार्यनो सरवाळो मनायो छे. आथी कार्य बहु ओहुं थाय छे अने वरसनी आखरे दरेक व्यक्ति सेक्रेटओनी टीका करवा मंडी जाय छे. आ बंधारणमां मोटो फेरफार करवानी जरूर छे. खास करीने एक दिशामां तद्दन फेरफार थाय तो कार्य बहु थाय, टीका ओछी थाय अने कोन्फरन्सन महान हेतु पार पडे एम लागे छे. ते आ छे. सेक्रेटरीओने रिपोर्ट आपवावाळा करवाने बदले रिपोर्ट लेवावाळा करवा. आ संबंधमां विशेष स्पष्टिकरणनी अपेक्षा रहे छे. अने तेनी योजना नीचे प्रमाणे छे. गुजरातने चार मोवीन्समां वहें वो अमदावाद, वडोदरा, सुरत अने मुंबई, तेना मध्य बिंदुओ. काठियावाडमां बे अथवा त्रण विभाग पाडवा. भावनगर, जामनगर अने त्रीजानी जरूर
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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