SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८८ जैन समाचार मी० हीरालाल जैन श्वे ० डा० ईन्सपेक्टरकी तर्फसे. प्रगने सीवाणा - मारवाड. यहांपर संबेगी कमलमुनी महाराज जो मोहनलालजी महाराजके संघाडे के हैं विचरना परन्तु ढुंढीयोंका अधिक प्रचार होनेसे पहिले पहिले अतन्त कठिनता पडी. यहां पर ढुंढिया समुदाय के साधु जेठमलजी, ताराचंदजी, नेनचंदजी, और हिंदुमलजी जिन्होने शास्त्रार्थके लिये अपने धर्म्मकी पुष्टीको बड़ा कोलाहल किया. उक्त कमलमुनीजी महाराजसे ईस विषयमें छेड छाङ कर श्रावकों की श्रद्धा भंग करनेके अर्थ बहुतसा हिलचल मचादीया उक्त स्थान के श्वेताम्बर समुदायका पत्र ब्रांच ओफिस में पहुंचनेपर ईन्सपेक्टर हीरालालजीका पहुंचना जरूरी हुआ. कोन्फरन्सकी तर्फसे निवेदन कीया गया कि आप शास्त्रार्थ करें दिन मुकरीर कीया जाय जिस्की हार पराज्यहो वही हद धर्मको छोङ सत सनातन धर्म जो वीर परमात्मा के शाइनके मुता बीक है उसीको सब ग्रहन करें और लिखत लिखा जाये. आसपास के श्रावकों को पत्र द्वारा सुचना दी जावे कि इस धर्म सभा में शास्त्रार्थ करनेके सुअवसर पर पवारकर प्रतिबोध पामें. परन्तु ढुंढीया महाजने नाही करदीया की हम लोग शास्त्रार्थ (चर्चा) नहीं करेंगे जिसपर सार कलई खुल गई सब गांवके श्रावकोने मंदिर जानेके और पुजन करनेके नीयम लये और श्वताम्बर मतको अंगीकार कीया. -Roes 1 लडेर अप्पर. સર્વ જૈન ભાઇને ખબર આપવામાં આવેછે કે અમદાવાદ કોન્ફરન્સમાં થયેલ ડરાવ નંબર ૧૪ અનુસાર આપણા પરમ પુજય શ્રી તીર્થંકર ભગવાનની છબીએ વેચવામાં આવે છે તે બંધ કરવાને માટે પ્રાગ્ય પગલાં ભરવાની ખાસ જરૂર છે તેથી જણાવવાનુ કે આવી છછીએ જે કાઇ વેચતા હાય તેની અનેતેા નકલ અને ખાસ કરીને વેચનાર તથા છાપનારનાં નામ તથા ઠેકાણા સાથેની ઉપયાગી હકીકત અમારા ઉપર મેકલી આપવામાં આવશે તેા ઘટતા બંદોબસ્ત થઈ શકશે, ગીરગામ મુંબઇ. આસીસ્ટ'. સેક્રેટરી, શ્રી જૈન શ્વેતાંબર કોન્સ.
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy