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________________ (३) कोनफरन्सना अभिप्रायमां जे जे पुस्तकोनो उद्धार या नकल कराववानी तेने जरुर हशे ते पोताने खर्च करावी लेशे. उपर प्रमाणे शरतो लखी मोकलवा छतां पण एक महिना सुधी भंडार उघाडवामां आव्यो नहि; अने पंडितो वीगेरेनुं नाहक खर्च माथे पडयु, ते पछी जेसलमेरना दीवान साहेब तथा पंचो उपर त्रण चार रजीस्टर्ड कागळो लखवामां आव्या, अने कोन्फरन्स तरफथी त्यां काम करनार पंडितने त्यांज कायम राखी सबुरी साथ कोशीष जारी राखवामां आवी, अने त्यांना आगेवानोनां मन उपर कोन्फरन्सनुं नाहक खर्च थाय छे, ते बाबत ठसावता रह्या. बीजी पण घणीक तजवीजो भंडार उघडाववा सारु चालु राखवी पडी. जेम जेम जेसलमेर पंचो भंडार उघाडवामां वधारे ने वधारे ढील करता गया, तेम अमे पण ते संबंधमां वधारे ने वधारे सबुरि पकडी अने छेवटे परीणाम ए आव्यु के पंचना गृहस्थो एक पछी एक कोन्फरन्सना पुस्तकोझारना आ कार्यने सारं समजवा लाग्या. परंतु एक साधारण माणसे माथु उचकीने क्यांसुधी भंडार उघाडवा दीधो नही. छेवटे जेसलमेर पंचे अकळाइने मे० दीवान साहेब पासे जइने प्रार्थना करी के अमे तो कोन्फरन्सनां आ कार्यने सारु समजीने भंडार उघाडवा इन्छी छीओ, पण जेठमल काछबा उघाडवामां दंगो फीसाद करीने हरकत करछे, माटे पोलीत उपर बंदोबस्त करवानो हुकम फरमाववो. ते उपरथी मे दीवान साहेब के जेओ पहेलेयीज आ कार्यमां सहायक हता तेमणे कोटवाळ उपर लखी दंगा फोसादनो बंदोबस्त कर्यो, अने छेवटे आटली बधी कडाकुट पछी ता. ६ एप्रीलना दिवसे भंडार उधाडवामां आव्यो, अने पेहेलांनी माफक आगळ टीप करवानुं काम जारी करवामां आव्यु. उपर प्रमाणे मुस्केलीओमां शरु करवामां आवेला कील्लामांना भंडारमाथी एकंदर २१७५ पुस्तको नीकळ्यां, जो के प्रथम ३५०० पुस्तको होवानी अटकळ करवामां आवी हती. एक वखत एवो हतो के आ भंडार उघाडीने तेनी टीप करवान काम असंभवित हत, परंतुं छेवटे जेसलमेरे पंचनी कृपाथी आ कार्य संपूर्ण करवामां आव्यं, जो के आ कार्यमा घणी घणी अडचणो अने मुस्केलीओ पडी, तोपण कार्य पूर्ण थयाथी खुशी उतन्न थाय छे. आ शीवाय जेसलमेरना उपाश्रयोमां बीजा पण घणा भंडारो छ पण कल्लिाना भंडारनी टीप संपूर्ण थया . बाद शहेरना बीजा भंडारोनी टीप करवा देवाना, तथा जर्णि पुस्तकोड्रारना विषयमा मतभेद थवाने लीधे पंडित हीरालालने घणा महिना सुधी एमने एम बेसी रहे, पडयु. आ संबंधमां जेसलमेर पंचनी जोङे एक महिनाथी पत्र व्यवहार चाल्या करतो हतो, तेटलामां रतलाम निवासी शेठ चांदमलजी जेसलमेर पधार्या, अने तेओनी तथा ठाकुर शीवदानसिंहजीनी . मददथी छेवटे शहेरना बीजा भंडारोनी टीप करवा देवान जे सतोर पंचे मंजुर कयु, अने त्यांना १९ आगेवान गृहस्थोनी सही साथ मीती आशो
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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