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________________ १९०६] श्री मारवाड प्रान्तिक कोनफरेन्स की लक्षिप्त रीपोर्ट ३. कंद मूल आदिका प्रचार ४. रात्री भोजनका रिवाज ५. देवस्थान वगरह शुभ खातोंके द्रव्यका बरताव ६. अन्य तीर्थीयोकें पोंका प्रचार द. क. गुलाबचंदची ढड्डा---जयपुर ता. क. टोकरसी नेणसी-बम्बई १. मास्टर अमोलकचंदजी---जोधपुर २. सुगनराजजी महोणोत--जोधपुर ३. गणेशमलजी सराफ—जोधपुर ४. गोविंदसिंहजी डांगी-शाहपूरा ५. डाकटर नगीनदासजी-नागोर ठहराव इग्यारवांः-- अपवित्र खांड ओर केशर वगैरहके परित्यागकी आवश्यक्ताः द. क. हजारी मलजी पारख-जोधपुर ता. क. बिशनदासजी भंडारी--जोधपुर अ. क. डाकटर नगीनदासजी--नागोर ठहराव बारहवां:सेठ प्रेमचंद रायचंद और मिस्ठर साराभाई बीरचंद दीपचंदकै पञ्चत्वका शोंक प्रदर्शित करना. प्रमुखकी तरफसे. ठहराव तेहरवाः-- . मारवाडके महाराजाधिराज श्री सरदार सिंघजीको धन्यवाद. ठहराव चवदवा:-- प्रान्तिक सभा साल दरसाल भरनेकी आवश्यक्ता. . दं. कं. लच्छुलालजी लुंकड--जोधपुर ___ ता. के. गणेशमलजी सराफ--जोधपुर ठहराव पंदरवाः-- प्रमुख साहब उपकारमें:द. क. . गुलाबचंदजी ढढा--जयपुर ता. क. धनराजजी कांसटीया--अजमेर इसके बाद आयंदा कोनफरेन्स तक कामकाज चलानेके लिये अजमेर निवासी कुंवर कल्याण मलजी दवा मंत्रि और कांसटीया धनराजजी उपमंत्रि करार दिये गये और इनको सत्ता दी गई कि - यह साहब अपनी रायके मुवाफिक मेम्बर चुनकर कमिटी कायम करें. पीछे सभाके डेरे छोलदारी व कोटडी वगरहके बाबत ठहराव होकर मुनिम मन्दिरकी इत्तला पाई कराकर हर्षनादके बीच सभाका काम विसर्जन किया गया.
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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