SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 292
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "जैन कान्फरन्स हेरल्ड सष्टम्बर द. क. ... ता. क. गुलाबचंदजी उड्डा-जयपुर अ. क. लच्छूलालजी लूकंड--जोधपुर ठहराव सातवां:-- जीर्णमन्दिरोद्धार. हीरालालजी सूराणा-सोजत ता. क. लल्लुभाई जयचंद--पाटण । अ. क. डाकटर नगीनदासजी-नागोर. ठहराव आठवा. मन्दिर बगरह शुभखातोंके हिसाब प्रगट होनेकी आवश्यक्ता: द. क. डाकटर नगीनदासजी--नागोर ___ ता. क. यति श्री पालचंद्रजी--बीकानेर अ. क. गुलावचंदजी दवा-जयपुर ठहराव नवां: देवस्थान वगरह कुल शुभ खातोंकी रकमकी व्यवस्था करनेके लिये एक जनरल कमीर्टीकी भावश्यक्ताः-- गुलावचंदजी दवा--जयपुर ता. क. ठोकरसी नेणसी-बम्बई अ. क. मास्टर अमोलकचंदजी--जोधपुर ठहराव दसवां:हानी कारक रीति रिवाजोंकों दूर करनेकी आवश्यक्ता: . ऐ-शादीः१. बाललग्न २. वृद्ध विवाह ३. कन्या विक्रय ४. अन्य विधिको छोडकर जैनविधिके मुवाफिक लग्न ५. फुजूल खरची करके जीमणवारका करना, आतशबाजीका छोडना, गणिका ओंका नाच करना; फाटे गीत गाना बी-गमी. १. मुकता २. पल्लालेना, जियादा दिनों तक सोंग रखना, उठानेके दिन मन्दिरमें रोते हुवे जाना सीः-सदाचारः१. राई आदि शुद्र जातिको रसोई में शामिल करना. ... २. बदलका खयाल
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy