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________________ MEEVE १९०६) श्वेतांबर जैनाए रचेला प्रकरणोनु लिस्ट. . नंबर ग्रंथ नाम | श्लोक व्याख्या व्याख्या रिमार्क कर्ता वृत्ति संस्कृत तपादेवेंद्र योगसार ८ सिद्धिपंचाशिका ९ दूसमदंडिका (प्राकृत) गा. ९२/ १० दूसमविच्छेददंडिका (प्राकृत )गा.२०४ सम्यकत्व स्वरूप जिनचंद्र गा. १२ सम्यकत्व गाथा एग विहं इत्यादि श्रावक भंगकादि विचारगाथा वृत्ति विजयदेव Mms , गच्छव्यवस्थाना ग्रंथो. वर्ग १लो. (तपागच्छसंबंधी) तपासामाचारी | सामाचारी १३६ मळ. देवप्रभा १४५० अधिकारनी सामाचारी (सुबोधा, धनेश्वरशिष्य श्रीचंद्र (विवारामृत संग्रह कुलमडन । सं. १४४३ वृत्ति देवगुप्त । . . 1 . आंचळिक पौर्णिमिक छिद्र सूचक | श्रावक सामाचारी उपधानस्वरूप देवसरि तत्वबोध द्वि. हरिभद्र, ५०४० निजातीर्थककल्पित कुमतानरास) स्थळ रि यतिप्रतिष्ठास्थापन अजितदेवसू पत्र २६| चरणसहस्रोदधि आचरणाशतक सं. ११८५ ९ | शतपदीनुं पूर्वपक्ष - वर्ग २ जो - गच्छांतर शतपदी . आंचलिक महेंद्रसिंह ] ५४५० सं. १२९४
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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