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________________ ०६) श्वेतांबर अंकोर स्वेल - लिस्ट. -- नंबर अंथ नाम का लोक 'व्याख्या व्याख्या 1 कत्ता श्लोक- रिमार्क रमाक - प्रक्रियाना ग्रंथो | वर्ग १ लो. १ कर्मप्रकृति गा.४७५ वृत्ति मळयगिारे । ८००० च. टिप्पनक मुनिचंद्र १९२० २ | पंचसंग्रह . चंद्रर्षि. वृत्ति स्वोपज्ञ मळयगिरि سه ३ | बृहत्कर्मग्रंथ. १ कर्मविपाक २ कर्मस्तव वृत्ति वृत्ति परमानंद टिप्पनक उदयप्रभ ४२० गोविंदाचार्य १००९ " प्रभसूरि २९२] द्वि. हरिभद्र ·५६० सं १९७२ । प्राकृत वृत्ति रामदेव | ३ बंधस्वामित्व { ४ षडशिति जिनवल्लभ ( अपरनाम आगमिक वस्तु विचारसार.) वृत्तिमलयगिरि । २१०० . ५शतक यशोभद्र । १६३० द्वि. हरिभद्र ८६०/ सं. ११७२ वृत्ति म. हेमचंद्र | ३७४० २३८० टिप्पनक उदयप्रम । ९७४ चूर्णि १६ सार्ध शतक जिनवल्लभ (सूक्ष्मार्थविचारसार) ... ७ सत्तरी | वृत्ति द्वि. हरिभद्र ८५०) सं. ११७२ धनेश्वर ३००० सं. १९७१ प्राकृतवृत्ति वृत्ति टिप्पनक १४०० प्राकृत वृत्तिचंद्रमहत्तर २३०० 1. वृत्ति मलयागार -- भाष्य चर्णि | टिप्पनकखर रामदेव ५३० गा. -
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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