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जैन कॉनफरन्स हरेल्ड.
[ एप्रिल
काजके शुरू होनेकी इत्तला नही मिली है. इसलिये पाटन के भाईयों से हमारी तरफ से प्रार्थनाकी जाती है कि आयंदा कोनफरन्सकी कामयाबीके वास्ते अबसेही तय्यार होकर बन्दोबस्त करना ठीक होगा. हम आशा करते हैं के कुल कारवाईसे हमको हरवक्त इत्तलादी जाया करेगी.
वागांव के आसपासके गांवों में हरैल्डकी मांगणी.
वलाके आसपास के गांववालोंकी एक बडी सभा होकर कोनफरन्सके ठहरावोंको मंजूर किया गया है और हरेक गांव में हरैल्ड और जैनपत्रको मंगाने की प्रतिज्ञा की गई है.
प्रेरित पत्र.
घर बैठेही बडोदा श्वेताम्बर कोन्फरन्सका जलसा देख लिया.
विदित हो कि प्रतापगढ तरफ से प्रतिनिधि घिया लखमीचन्द्रजी श्री बडोदा कोनफरन्स के जलसे में शरीक हुवेथे और वहां पर बडे २ महाशयोंने जैन हितकारि प्रबन्ध के लिये जो जो भाषण दिये वे अच्छी तरह चारों दिन तक बराबर सुने, सभा विसर्जन होने के बाद उक्त प्रतिनिधि अपनी मुम्बई की दूकान को सिधार गये और वहां से पत्रद्वारा सब हाल तथा समाचार पत्र प्रतापगढ को भेजे परन्तु उन्हमें संक्षेप हाल थे इस कारण मन को संतोष नहीं हुवा. अब धियाजी वापस प्रतापगढ आये और सब का मनोरथ पूरा करने के वास्ते अपने बगीचे के मन्दिर के सामने बडे चोगानमें आपने सभा की तयारी की जिसमें करीब ५०० मनुष्यों का समारोह एकत्रित हुवाथा उस में यहां के श्रीयुत कामदार साहब प्रन्नालालची जो कि ज्ञाति हुंबड जैन श्वेताम्बर धर्म के पके श्रद्धालु हैं उन्होंने सभापति के स्थान को सुशोभित किया तब उक्त धिया साहबनें सभा में खडे हो कर जो कोनफरन्स का हाल बडोदे में श्रीमान गायकवाड नरेश शियाजीराय बहादुर, राय बहादुर बुद्धिसिंहजी व मिसटर गुलाबचन्दजी ढड्ढा आदि महाशयों सें गुजराति तथा हिन्दि भाषा वगरह यथाक्रम से सुनाथा यथार्थ अपनी सुरेली मीठी बाणीसे जबानी डेढ घन्टेके करीब बयान किया. उनकी अमृतबाणीको सब श्रोतागण सुनकर उस अमृतरूपी रसको कर्णद्वारा पानकर आनंद में मग्न होगये और महासभाका जयजय शब्द उच्चारण करने लगे और अपने सुधारेका प्रबन्ध करने को तय्यार हुवे.
उस सभा में यह भी बिचारागया कि यहांपर धियाजीके बगीचे में पाठशाला कई वर्षो चली आती है लेकिन यहांपर लडके पढने कम आते है इसलिये सभा इसको तरकी देनेका