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________________ १९०५] समाचारसंग्रह... - - दा मनुष्य मारे गये, अलावा धर्मशाला ओर कांगडा के लाहोर, अमृतसर, शमला वगरह में भी बहुत नुकसान हुवा है. सैंकडों आदमी मरगये है ओर लाखों करोंडों रुपयों की लागत प्राचीन व नवीन मकानात टूट गये हैं बहुतसे फट गये हैं. शमलामें लाठ साहब के रहने का मजबूत महल फट गयाहै. इस महल की चिमनी टूट कर उस कमरे की छत पर पडी के जिसमें लेडी करजन साहिबा रहती थी दैवयोग से लेडी साहिबा को कुशल रही. इस भूकम्पका जोर इन शहरों आगे हर तरफ इधर उधर फासले के साथ घटता हुवा पंजाब, पूरब, राजपूताना में मालुम हुवा. मुम्बई, मदरास में कुछ मालूम हुवा. उत्तर की तरफ भी इस का जोर कम होता गया यहां तक कि श्रीनगर में तो इसका सदमा ज्यादा मालूम हुवा परन्तु सोन मार्गमें बिलकुल कम मालूम हुवा. दहली, मियांमीर, जालंधर, फीरोजपूर, मुलतान, रावलपिंडी, मसूरी, डालहाउसी, पटीआला, डेहराडून, कसोली, गाजीआबाद, अम्बाला, सिकन्दराबाद, लैन्सडाउन, आगरा, कानपुर, कलकता, झालरापाटन, वगरह शहरों में भी इस भूकम्पका असर हुवा है. और किसीजगह कम किसी जगह ज्यादह नुकसान हेवा है. न मालूम इस वर्ष में हिन्दुस्थान का क्या होन हार है. शर्द ऋतुमें बरफ और ठंड में बेशुमार नुकसान किया, उन्हालू फसल जो बहुत अच्छीथी जलकर कम रहगइ. लाखो वृक्ष जल गये. महामारी ज्यादह जोर पर चलही रहीहै और अब भूकंपनें वह रंग दिखलाया है कि जिसके सुननेसे कलेजा जगह छोडता है. रूसकी दशा-इस ही मुवाफिक इस समय रूसकी दशाभी सामान्यमालूम देती है. इनकी बडी सलतनतका एक छोटीसी जैपानसे कई लडाइयोंमें हारना, लाखों सिपाहियों ओर हजारों अफसरोंका मारा जाना, बादशाहके नजदीकी रिश्तेदारोंपर हमला होना और उनका मारो जाना, खास बादशाहको नुकसान पहुंचानेका इरादा रूसीयोंका होना, रय्यतका बदल जाना, कर्जका न मिलना बडे बडे फौजी अफसरोंमें नाइत्तफाकी का होना और सबके ऊपर अब हैजेका जोरशोरस जारी होना. यह सब बातें रूसकी दुर्दशाको साबित कर रही हैं. अब बालटिक फ्लीट और जनरल टोगोकी हारजीतपर रूस जापानकी लडाइका दार मदारहै ! बडोदामें पाटनके नगर सेट तथा कोटावाले सेठ पूनमचंदजी वगरहनें चोथी कोनफ रन्सका जलसा पाटनमें होनेकी खुवाहिश जाहर करनेपर उनकी पाटनमें आवती चोथी कोनफरन्स. ____ दरखुवास्त बहुत खुशीके साथ मंजूर को गई थी. उस समयको पुरा पांच महीना हो चुका और अब सिर्फ पांच छ महीने पाटनवाले सद्गृहस्थोंके हाथमें बाकी रहगये है परन्तु हमको अभीतक कुछ काम
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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