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________________ ___जैन कोनफरन्स हरैल्ड. [एप्रिल था कि दूसरे शहर या गांववालों को यहांसे प्रतिमा देने में उनकी बदमानी होती है परन्तु यहाँ के श्रावकों को समजानेपर अब उन्होंने मंजूर किया है कि अगर किसी स्थानपर किसी मंदिर के वास्ते किसी महाशय को प्रतिमाकी आवश्यकता हो तो कोन्सफरन्स के सेक्रेटरीयोंकी शिफारससे उनको प्रतिमा मिलसकती है. एक पंजाब निवासी सद्गृहस्थ ने किजो अंग्रेजी फारसी अच्छी जानते हैं और जो गवर्नमेंट के नोकर हैं और जिनमें वक्तृताकी शक्ति अच्छी उत्तरी हिन्दुस्थानक है अपनी नोकरीसे एक साल की रुखसुत लेकर कोन्सफरन्स लिय उपदशक के उपदेशक तरीक पंजाब, राजपूताना, मध्यप्रदेश, पूरब वगरहमें जगह जगह उपदेश देवेंगे. तनखुहा कोन्सफरन्स से दी जावेगी पंजाबमें उपदेश देनेमें जो आनाजाना पडेगा उसका किरायाभी कोन्सफरन्सके जिम्मे रहैगा. एक अंग्रेजी पढा हुवा पंजाबनिवासी भावडा जैनी को धर्म से भ्रष्ट होते हुवे मुनि . श्री बल्लभविजयजीने बचाया है. यह जैनी पहिले अच्छी श्रद्धा अंग्रेजी पढे हुवे जैनी को । का वाला था. परन्तु कर्मसंजोग से कहीं से आश्रय न मिलने धर्मसे भ्रष्ट होते हुवे को रोका. ' की वजह से अपने धर्म को छोड कर क्रिश्चियन होताथा. परन्तु उक्त मुनि महाराजनें उस को समजा कर बचाया है. वह इस वक्त बीमार है. उसका इलाज लाहोर में कोनफरन्स की तरफ से भाइ जसवंतराय की मारफत कराया जाता है. जब वह अच्छा हो जावेगा उसकी लियाकत के मुवाकिफ उस के लिये तजवीज की जावेगी. हम आशा करते हैं कि अन्य स्थलों पर भी इसही मुवाफिक हमारे साधू महाराज और स्वधर्मी भाई निगाह रखकर डूबते जैनीयों को बचाकर कोनफरन्स पर उपकार करंगे. भूकंप-अप्रैल मास की चौथी तारीख की सुबह को भूकंप हुवा और किसी जगह ६ बजे किसी जगह ६ बजे पीछे यह भूकंप हिंदुस्थान के प्रायः कुल विभागों में मालूम पडा. तार की खबरों से विदित होता है कि कई जगह यह भूकंप थोडे थोडे समय के अन्तर से मालूम दिया और कई जगह दूसरे दिन भी मालुम पडा. एक दो जगह तीन चार दिन तक मालूम होतारहा. इसकी उत्पतिका स्थान लाहोर ओर शमला के दरमियान धर्मशाला शहर के आस पास प्रमाण होता है. धर्मशाला और उसके नजदीक के गांव बिलकुल बरबाद होगये. इस जगह कई अंगरेज, हिन्दुस्थानी फौज व अन्य मनुष्य मकानों के गिरपडनेसे दबकर मरगये. कांगडाका यह शोकजनक हाल हुवा कि ४७५० मनुष्यूं की बस्तीमें से ४००० से ज्या
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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