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________________ १९०५ ] समाचारसंग्रह. ८३ विचार आगमी जलसेमें करेगी. यहां जैनी श्वेताम्बर महाजनों के ३०० घरोंके अन्दाज है जिनमें हुमड, पौरवाड़, औसवालभी हैं. यहां जैन श्वेताम्बर मन्दिर १० हैं. आशा की जाती है कि यह सभा आयन्दा अपनी उन्नत्ति अवश्य दिखाकर महासभा से सम्बन्ध बढायेगी इत्यलम्. श्रीसंघका कृपाकांक्षि गांधि देवराज हुंबड, जैन श्वेताम्बर सभाका सैौरी. विज्ञापन जैन इतिहासके लिये रु. ५०० की इनाम. जो के समयानुसार एक सिल सिलेवार सही जैन इतिहासके तय्यार होकर प्रगट होने की आवश्यकता है कि जिसमें शास्त्रों के हवाले से सच्ची हकीकत दर्ज की जावे और कुल हाल अव्यलसे अखीर तक पूरे तोर पर तारीख वार जैन धर्मके फैलावका, इसके प्रतापी आचार्यों, - राजा महाराजाओं तथा मंत्रियोंका, इसके दृढ श्रावक श्राविकाओं का, इसके तीर्थ, मंदिर, `पुस्तकालय वगरह्का आज कल के ऐतिहासिक कायदेके मुवाफिक दर्ज किया जावे और - साथ ही साथ जैनधर्मका अन्य धर्मोंपर और अन्य धर्मोका जैन धर्मपर क्या असर हुवा, और एक दूसरे के साथ क्या क्या और कब २ झगडे हुवे और उनका परिणाम क्या निकला इसके बाबत अच्छी तरह विवेचन किया जाये कि जिसके देखनेसे कुल हाल मालूम होजावे; जो साहब इस कामपर कमर बांधेंगे और एक बर्षके अन्दर इस इतिहास तय्यार करेंगे उनको हमारी तरफसै रुपया ५०० की इनाम दीजावेगी. इतिहास तय्यार करनेके पहिले ३० जून तक एक दरख्वास्त अपने अनुभविक ज्ञान वगरहकी हमारे पास भेजें ताकि योग्यता देखकर इजाजत दीजावे और उस दरख्वास्त के साथ पुस्तक तय्यार करनेका एक * ढांचाभी भेजें जिससे मालूप होजाये कि पुस्तक किस तरह तय्यार की जावेगी. रायबहादुर बाबू बुद्धिसिंहजी दूधेडिया. अजीमगंज.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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