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________________ जैन कोनफरन्स हरैल्ड. [एप्रिल मुम्बई शुभेच्छक मित्रमंडल के मंत्री मिसटर लल्लु करमचंद दलाल हमको इत्तला दे _ तेहें कि वह जहां जाते हैं वहीं जेनीयों की सभा इकट्ठी कर. लल्लु के. दलाल. . के कोनफरन्स सम्बन्धि भाषण देते हैं और जहां तक मुमकिन होता है सुधारा कराते हैं वह यह भी समाचार लिखते हैं कि अहमदनगर के पास रूपा गांवमें जैनीयों के स्थानकबासी होनेसे मंदिर बंद होरहा है ओर प्रतिमाजी एक घर में रखी हुई है सेवा पूजा होती हुई मालुम नहीं देती. और औरंगाबादमें २-४ मंदिर हैं उनकी व्यवस्था ठीक नहीं है असातना होती है. करनपुरा सेरीमें मंदिर बंद है. थोडे समय पहिले मंदिर के अंदर कसाइखाना था अब नहीं है. आर्य समाजियोने विपरीत बुद्धिसे जैन सिद्धान्तोंके अर्थको यथा योग्य न समजकर उनका अनर्थ करके जो आक्षेप जैन मतयानुयायोंपर " जैन पानीमें आग लगी " मत समीक्षा" द्वारा तथा अन्य रीतीसे कीया था उनक मुक्कदमे जैनियोंकी तरफसे देहली और आगरेमें चलकर आर्य समाजी गुनहगार साबित हुवे और न्याई ब्रिटिश सरकारने उन मुजरियोंपर यथायोग्य दंड किया. जैनियोंपर दयानंदी आक्षेप करें और जैनी उनपर राजकोर्ट में फरयाद करें और दयानंदी अपने दुष्ट कृत्यकी सजापावें इसमें तो कोई आश्चर्यकी बात नहीं है. परन्तु घर फूटा हुवा बुरा कारण घरकी फूट घरको खाती है. हम श्री सियाजी विजयकी खबरपर भरोसा करके लिखते हैं कि करांची सनातन धर्म सभाकी तरफसे आर्य समाजपर करांचीके कोर्ट में दावा हुवा है और स्वामि दयानंद सरस्वतीजीके बनाये हुये सत्यार्थ प्रकाशमें जो बीभत्स बास्य छपे हैं उनपर सनातन धर्म सभाकी तरफसे नाराजी प्रगट की गई है. वारंटके जरियेसे सत्यार्थ प्रकाशकी संख्याबंध पुस्तकें कोर्टमें आगई हैं. इस मुक्कदमेके चलनेसे खयाल होताहै कि उक्त महात्माने अन्य धर्मियोंपरही नहीं किन्तु स्वधर्म परभी हाथ फेरकर सफाई की है. एक मनुष्यपर या एक समाजपर मुतवातिर एसे मुक्कदमोंके होनेसे उस मनुष्य या समाजका खोटादिन समजना चाहिये. देखें उस मुक्कदमे में क्या रंग खिलता है ! __श्रीजैनश्वेताम्बर कोनफरन्सके निराश्रिताश्रयके ठहरावका अनुकरण करते हुवे हिस्सा रकी जैन सोसाइटीने "भारत वर्षीय जैन अनाथाश्रम" हिस्सारमें जैन । खोला है जिसके आनरेरी सैक्रेटेरी बाबू बांकेराय साहब बी. निराश्रिताश्रय. " ए. एलएल. बी. हैं. इस अनाथाश्रममें अलावा जैन बच्चों, औरतों ओर मनुष्योंके द्विज ओर स्पर्श शूद्र जातके अनाथ बच्चोंकीभी परवरिश होगी.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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