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________________ १.०५] सम्पादकिय टिप्पणी. ---- सुप्रसिद्ध अजीमगंज निवासी रायबहादुर बाबू साहब बुद्धि सिंहजीनें अपना विचार प्रगट किया है कि कोई विद्वान् जैन धर्म का सही और सच्चा इतिहास आजकल के ऐतिहासिक कायदों के मुवाफिक एक वर्ष के अन्दर तय्यार करेगा तो उसको इनाम के रु. ५००) पांच सो बाबूसाहब अपने पाससे देवेंगे. इतिहास तय्यार होने के पश्चात किसी विद्वान् आचार्य अथवा साधू मुनिराजको संसोधन के वास्ते सोंपा जावेगा और पीछे एक वर्षके अन्दर २ छपा दिया जावेगा. हम इस उदार वृत्ति के लिये उक्त बाबूसाहब को धन्यवाद देते हैं और आशा रखते हैं कि इस मोठी इनाम की रकमका फायदा उठानेपर हमारे विद्वान् जैनी भाई कटीबद्ध होकर बाबूसाहबका मनोरथ सफल करेंगे. यद्यपि कोन्फरन्स के ठहराव के मुवाफिक इस पत्रको सिर्फ अंगरेजी और देवना गरीमें छपाकर प्रसिद्ध करनेका विचार था परन्तु प्रथम अंकके हरैल्ड में गुजराती. छपकर प्रगट होनेपर हमारे गुजरात देशके भाईयोंने यह इच्छा जाहर की अगर गुजराती भाषाभी इस पत्रमें शामिल की जावे तो उनको अनुकूल रहैगी और तीनों भाषामें इस पत्र के प्रगट होनेसे तमाम हिन्दुस्थान के जैन वर्गको यह पत्र फायदा मंद होगा इस कारणसे इस पत्र का कदभी दुगुणा कर दिया गया है और गुजराती भाषाके. लेखभी छापे जाते हैं. समाचारसंग्रह. भरूंच निवासी मिसटर अनोपचंद मिलापचंद शाह बी. ऐ. मिसटर अनापचद ने ग्रैज्युएट्स असोसीएशन के नियमानुसार नीचे मुजब काम मिलापचंद शाह बी. एं; कीया है. १. उनके दो मित्रोंके घरोंमें जैन विवाह विधिके मुवाफिक विवाह कराने में कोशिश करके कामयाब हुवे. २. विवाह के समय वरात के एक गांवसे दूसरे गांव जानेमें जो गाडियों के बैलों की होडाहोड दोड हुवा करती थी और जिससे बेलोंको पूरी तकलीफ हुवा करती थी वह रिवाज बंद कराया गया. ३. विद्याप्रचार खाते एक फंड खडा किया गया है जिससे इस वक्त दो गरीब जैन विद्यार्थीयों को मदद देकर पढाया जाता है. ४. सेठियावोंसे प्रार्थना कीगई है.कि धर्मादाखाते के हिसाब वगरहको साफतौर पर छपवा कर प्रसिद्ध करें.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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