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________________ ___जैन कोनफरन्स हरैल्ड. [एप्रिल मुम्बई और बडोदाके कोनफरन्सके समय जैन डाइरैक्टरी तय्यार करनेका ठहराव हुवा था उसके अनुसार मुम्बई कोनफरन्स ऑफिसमें इसका पोरबंदरके संघका प्रबन्ध चल रहा है और अन्य स्थलके विद्वान् जैनीभी इस - ०९. कार्यको अच्छा समजकर इसकी तरफ पूरा २ ध्यान दे रहे हैं. अप्रैल मासकी पहिली तारीखको पोरबंदरके चीफ मैडीकल ओफीसर डाक्टर त्रिभुवनदास रहैरचन्द्र शाह, एल, एम अॅन्ड एस ने पांच सद्गृहस्थोंकी सलाहके साथ पोरबंदरके संघको इकट्ठा करके निम्नखिलित ठहराव पास कीये. १ पोरबंदरके संघकी डाइरेक्टरी तय्यार की जावै. २ डाक्टर त्रिभुवनदास इस डाइरेक्टरीको तय्यार करके मंजूरी के वास्ते सीलक्ट कमीटीके रोबरू पेश करे. ३ डाइरेक्टरीके तय्यार करनेमें जो खर्च लगे वह कलकत्तानिवासी हीराचंद सैसकएन अपने पाससे देवे. ४ डाइरेक्टरीका काम मुम्बइ ओफिससे डाइरेक्टरी फार्मसके मिलने पर शीघ्र शुरू कीया जावे. ५ पोरबंदरके संघकी तरफसे चार आना सालाना फी घर कोनफरन्स फंडमें दिया जाये. हम अपने अन्तःकरणसे पोरबंदरके संघको और डाक्टर त्रिभुवनदास तथा हीराचंदजी सकरनजीको उनकी उदारता, महनत और धर्म लागणीका धन्यबाद देते हैं और हमारे अन्य स्थल के भाइयोंका ध्यान कोनफरन्सके ठहरावोंको शीघ्र अमलमें लानेकी तरफ खेंचते हैं. आज कलकी रीतीके अनुकूल प्राचीन काल में क्रमांगत इतिहासका तय्यार होना देखने में नहीं आया और इस ही कारण अन्य धर्मियोंको जैन धर्मका जैन इतिहास. इतिहास सहल रीतिसे मालुम न होनेकी हालतमें कई संकल्प वेकल्पका मोका मिलता है. साम्प्रति कालके विद्वान् ऐतिहासकों ने जो धोका इस धर्मकी रत्यत्तिके बाबत खायाथा वह धोका शनैः शनैः निर्मूल होता जाताहै और कई यूरोपियन वेद्वानोंने अबतककी तलाशसे सिद्ध किया है कि जैन धर्म बौद्द धर्मसे प्राचीन है परन्तु भबतकभी इस धर्मका क्रमानुसार वृत्तांत छपकर प्रगट नहीं हुवा है. बडोदा नरेश महाराजाधिराज श्री शियाजीराव में तीसरी श्वेताम्बर कोनफरन्स की समय ऐसे तिहास के तय्यार होकर प्रगट होनेकी आवश्यकता जाहर कीथी उसके मुवाफिक हमारे
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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