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जैन कोनफरन्स हरैल्ड.
[एप्रिल दीवान साहब की इस चिठीके आनेके पश्चात जैसलमेर के पंचों की भी इकरारी चिठी आगई. इस तरह से पूरा इतमीनान होने पर कोनफरन्स की सेवा बजाने की गरज से जयपुर निवासी सेठ लखमीचन्दजी ढवा पंडितों को साथ लेकर जैसलमेर गये और जिन २ मुशकिलात के साथ उनहोंने भंडार खुलवाया है उसका पूरा वृत्तांत गत वर्ष के "जैन" पत्रमें छप चुका है यहां पर दुबारा लिखना पिष्ठपेशन होगा. टीपका काम थोडे. दिन जारी रहनेके पश्चात बिनाकारण जैसलमेर के संघनें भंडार को फिर बंद करके एक महीने तक नहीं खोला जिसपर फिर जैसलमेर के संघ के नाम चिठीयां भेजी गई जिसपर फिर भंडार खोलागया परन्तु मुशकिल से काम टीप के दो तीन घंटेही होताथा. हर तरह से तामील करते हुवेभी फिर दुबारा भंडार बंद करदिया गया के जिसको अरसा करीब तीन महीनेका होताहै. अगरचे हमनें जैसलमेरके पंचोंकी तस्सली पहलेही कर दीथी के भंडार के मोजूदा पुराने पुस्तक कहीं नहीं लेजाये जावंगे परन्तु फिरभी पंचोंने तीन शर्तों के साथ हमारे हाथका इकरारनामा हमसे कई बार की लिखा पढीके बाद तलब कीया तो उनकी खुवाहिशके मुवाफिक मार्च मासकी प्रथम तारीख को हमनें निम्न लिखित तीन शर्तों का कागज भेजाः
१. जिस कदर जीर्णोद्धारमें रुप्पया खर्च होता है वह कोनफरन्सकी तरफसे हर जगह होता है. जैसलमेर के संघ पर यह खर्च नहीं डाला जावेगा.
२. हम पहिले लिख चुके हैं कि जिस कदर जैसलमेर के भंडार में पुस्तकें मोजूद हैं जैसलमेर में रहेंगी हम उनको दूसरी जगह नहीं ले जावेंगे सिर्फ जिस पुस्तक को देखना है या जीर्ण होजाने की वजह से दुबारा लिखवानेकी जरूरत है या उनके फैलाव के वास्ते लिखवाने छपवानेकी जरूरत है या कुल जैन समुदाय के हित के वास्ते उनकी कार्यवाही दरकार है वगरह वगरह कारणों से पुस्तकोद्धार वगरह कोनफरन्स की तरफसे कराया जावेगा. जैसलमेर के संघ को किसी वक्त पुस्तक दिखलानेमें या लिखवाने वगरह में उजर नहीं होगा..
३ कोनफरन्स के विचार के मुवाफिक जिन २ पुस्तकोंका उद्धार कराने की या नकल करानेकी कोनफरन्स को जरूरत होगी कोनफरन्स अपने खर्च से नकल करावेगी.
इन शर्तों के साथ इकरार नामा भेजने परभी एक अरसे तक भंडार नहीं खोला ' गया और कोनफरन्स को पंडित वगरह का व्यर्थ खर्च बरदाश्त करना पड़ा. न मालूम 1 हमारे जैसलमेर के सुज्ञ जैनभाई क्या विचार करते रहे. इसके पश्चात हमने दीवान साहब 4 के नामपर और सकल संघ के नामपर तीन चार रजिष्टरी चिढीयां दी और कोनफरन्स की 'तरफ से जो पंडित वहां काम करता है उनको वहां पर बदस्तुर कायम रखकर सबर के