________________
श्री आगमोद्धार. उपर ) सारा लहीआ पासे हाथवती नकल कराववी अने ते नकल अत्रे मुंबाईमा राखवी अने फेरो टाईपनी प्रोसेसथी कोई पण गाम वाला सूत्रनी प्रत मांगे तो ज्यारे जोइए त्यारे टुंक वखतमा खरेखरी शुद्ध प्रत जूज खर्चे आ कॉन्फरन्स तरफथी आपवानी व्यवस्था राखवी अने आम करी आपणा आगमोनो उद्धार करवो. आ करवामां नीचे प्रमाणे व्यवस्था करवाथी काम सहज बने तेवु छे.
१. आ काम करवा कोई कमिटी नीमवी अथवा ज्ञान प्रसारक मण्डलने ए काम सोपवु अथवा कॉन्फरन्स ओफीसनी देखरेख नीचे आ खातुं काहाडवू.
२. आ कामनी शुरुवात करवा कॉन्फरन्सना जीर्ण पुस्तकोद्धार फंडमांथी रु. ३००० या ४००० भरवा अने आगमोद्धार टीप चालु करवी अने तेमां जुदा जुदा गामोमांना ज्ञान खातामाथी मदद करवा लोकोने विनंती करवी अने तेम करीने ओछामां ओछा रु. २५००० नी टीप थवी जोइए. उपर प्रमाणे टीप थवानी आशा छे कारणके मुनि महाराजोनो आश्रय मले तेम छे. मात्र शुरुआत करवानी जरूर छे.
. ३. आगमोद्धारनुं काम कोई मुनि महाराजानी देखरेख नीचे चलाववं होय तो तेम पण बने छे अने तेम करवाथी लोक लागणी पण कॉन्फरन्स प्रत्ये सारी थशे.
४. जो सेक्रेटरी साहेबो आ स्कीम मंजूर करशे तो आ बाबत अंतरवव्यस्था केम करवी ते दर्शाववानुं थशे.
___ आ विशे जेसलमेरना भण्डारनी टीप तथा आ आगमोद्धारनं काम आपणे करीप तो पण कॉन्फरन्से श्रीसंघनी सारी सेवा बजावी एम गणाशे. आ आगमोद्धारनुं काम पुरु थया पछी प्राचीन आचार्योना ग्रन्थोनी शोध करी तेमनुं रक्षण करवानुं छे. आपणो जैन धर्मनो मूल आधारज सूत्रो पर छे तेनुं रक्षण करवा प्रयास करवो ते अवश्यतुं छे." -
यह खयाल एक धर्म की लागणी वाले जैनकी तरफसे प्रगट हो इस मे कोई आश्चर्य की बात नहीं है वल्के हमको अत्यन्त खुशी उत्पन्न होती है के धर्म के रक्षणा हमारे आगेवान सद्गृहस्थ इस तरह पर बिचार करते है और जिस तरह मुमकिन हो धर्म और जातिकी उन्नति करना चाहते है.
यह आगमोद्धार इस तरह पर हो सकता है के पूरी पूरी कोशिश करके प्राचीन अर्वाचीन हस्तलिखित तथा छपी हुई पुस्तकें भण्डारोंमें से तथा साधु मुनिराजों, यतियो सद्गृहस्थों के पास से मंगवाई जावें. इस तरहपर एक २ आगमकी कई प्रतें इकठी होसकार