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________________ ३७६ जैन कॉनफरन्स हरेल्ड. [नवेम्बर ( ८ ) किस किस साधू मुनिराजने धर्म और समुदायकी तरक्की के वास्ते क्याक्या उपाय किये. ( ९ ) किस किस जगह कोन कोनसे मंडल, सोसाईटी, सभा, वगरहनें कायम होकर क्या क्यों काम किया. (१०) जैन विवाह रोधिके मुवाकिक किस किस प्रान्तमें कितने कितने लग्न हुवे और इसके खिलाफ कितने और जैन लन विविके जियादा प्रचारमै लानेकी क्या केशिश की गई. ( ११ ) खोटे रीति रिवाज किलकिल के उद्योगले कहाँ कहीं बंद हुने और आनंदा बंद करनेके लिये क्या उपाय किया गया. यह फहरिस्त सिर्फ बतोर याददाश्त ऊपर दर्ज की गई है, इसमें और कई प्रकारकी बातोंका समावेश होसकता है. इस तरहकी खबर साल दर साल प्रगट होते रहने से जैन समुदाय की निश्चय होता रहेगा और जिलजिस जगह कभी देखनेनें आये उसके सुवारेका प्रयत्न कियाजाये तो थोडेही कालमें जियादा उन्नतिहो सकती है. इसलिये पाठक गणसे हमारी खाल प्रार्थना है कि वह इन बातों पर पूराव्यात देवेंगे और इन बातोंकाया और कई बातों का जिनका उनको इल्महो हमारे पास पूरावृतांत भेनंगे. लेखनें नो अपनी कोर्तिको बढाकर लिवाजाने न न्यून करके लिखाजावे. पाटन में चोथो कॉनफरन्स. पाटन के संघनें अब बहूत तेजी के साथ कोनकरतके कामकाजको शुरु करदिया है. जुदि जुदि कमिटीयां नीमकर उनके द्वारा सब काम चलाते हैं. सभा मंडप के वास्ते पटन स्टेशन के नजदीक जो जमीन सेठ पूनमचंद करमचंद कोटालोंकी है वह पसंद की गई है. उसमें मंडपके खडे करनेकी जगह चांक दी गई है और इस कालके वास्ते तथा कुरलियों के वास्ते ठेका दे दिया है. मंडप इतना जंगी होगा कि जिसमें पात्र छ हजार प्रतिनिवि और विजिटर लोग बेठें सकें. मंडपका दरवाजा बहूत सुंदर बनाया जावेगा और सदर दरवाजह और मंडपके दरवाजहके बीच में दूब और दरख्त वगरह लग ये जाकर बागीचेकी सूरत बना दी जावेगी. मंडपके पासही एक टीनकी छावनका बडा मकान है उसमें प्रदर्शनार्थ चीजें रखी जावेंगी. इस कुशादा मकान में प्रभूकी प्रतिमा बिराजमान की जाकर उत्सव किया जावेगा बीचमें कनात लगाई जाकर प्रदर्शनकी चीजें रखी जायेंगी जिनमें खास करके जो प्राचीन भंडार पाटनमें है उनमें जो अमुश्य पुस्तकें ताड पत्रोंपर हैं वह सब उस प्रदर्शनमें रखी जायेंगी. इसके सिवाय जो साहब अपने अपने शहर, गांव या प्रान्तकी बनी हुई स्वदेशी चीजें नुमायश के वास्ते भेजेंगे वहभी उसमें रखी जायेंगी मसलन सांगानेरकी छपी हुई, छींटें रूमाल, डुप्पटे वगरह, चन्दनके खिलोणे, संगमर्मरके बरतन, मालपुरा के चक्में, बुधी वगरह मारोटकी रेजीयां इत्यादि
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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