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________________ ३७४ मैन कॉनफरन्स हरैड. . [नम्बर गतवर्ष तक बहुत थोडे श्वेतांबरी भाई समानें शामिल थे. इस वर्ष मि. गुलाबचंद दहा मि. उमरावसिंग टंक और अन्यभद्र पुरुषांने पत्रोंद्वारा सभाके साथ सहानुभूति प्रगट करते हुए सभाकी आवश्यक्ता को स्वीकार किया है. मि. गुलाबचंद ढहाने हमें विश्वास दिलाया है कि शिक्षित श्वेतांबरी ऐक्यताके पक्षमें हैं. __भाइयो ! हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि आप इन बातोंपर विचार करें और यदि योग्य समझेंतो समाके सभासद होना स्वीकार करें. सभाका वार्षिकोत्सव इस वर्ष सहारनपुरमें ता. २५ और २६ दिसेंबरको होगा. आशा है कि आप आकर अपने विचारोंसे सभाको कृतार्थ करेंगे. विश्वासही आप इस प्रार्थना की और अवश्य ध्यान देंगे. आपका कृपाभिलाषी और समानका सेवक, चेतनदास, बी. ए. जनरल सेक्रेटरी-प्रयाग. नैनियोंके साल तमामकी सखावत वगरहके हिस्सारके प्रगट होनेकी आवश्यक्ता. पिछले समयसे इस वक्तका समय कुछ और रंग ढंगका है और उस रंग ढंगके मुताफिक अपना वर्ताव होना मुनासिव है. क्योंकि नदिके प्रभारें बहनेशला ठीक रस्तेपर चलता है इवर उधर टक्कर नहीं खाता न इधर उधर चलने वालोकी जैसे उसको पश्चाताप करना पडता है. देखा देख और होडाहोडसे कामभी नियादा होता है और कुछ हिम्मतभी बंध जाती है. हमारे घरका हाल हमको भली प्रकारसे मालूम हो जाने के इरादेसेही डाईरेक्टरीका काम गर्मागरमीक साथ चलाया गया है. बम्बईके कारपोरेशननें कई कारणोंसे सन १९०१की मर्दुम शुमारीको खास वम्बई शहरके लिये सही और ठीक न समझकर विचार किया है कि उस शहरकी मर्दम शुमारी फिर की जावे जव. लाखों रुपयोंके खर्च को उठाकर सरकारको तरफसे हर दस साल मईम शुमारीले फायदेमंद नतीने निकाली जाते हैं इसही तरहपर किसी खास समाज, फिर्के या धर्मकी तरफसे अपने समाज, फिर्के या धर्म के बाबत कार्यवाही की जावतो उस समान, फिर्के और धर्मको अवश्य फायदा पहुंचता है. कुल हिन्दुस्थानके जैनियोंकी डाइरेक्टरी जब सम्पूर्ण तय्यार होजावेगी उस वक्त कुछ फायदा देगी परन्तु इस समय हमारा यह अभिप्राय है कि सन १९०५ के अंदर जो जो शम काय जैन समाज में हुवे हों उनका सबको हाल दरयाफत किया जा कर इस पत्रद्वारा
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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