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जैन कॉनफरन्स हरेल्ड,
[नवेम्बर्
८ इस मन्दिरके इन्तानके वास्ते पहिलेले ट्रस्टिमुकर्रर हो चुके हैं परन्तु उनमें से कई ट्रस्टियोंकी जगह खाली होगई है इसलिये समयानुसार उन ट्रस्टियोंकी जगह नये ट्रस्टि मुर्करर किये जावें.
९ मन्दिरके सदर दरवाजेके सामने जो मन्दिरकी टेकरी है और जिसपर करीब पंदरह बर्ष पहिले साधु चिदानंदजीनें आश्रम बनवाया था और जो इस वक्त भी मोजूद है उस टेकरीपर कोट खिचवाया जाकर एक छोटासा मन्दिर बनवाकर प्रमुकी प्रतिमा विराजमान की जावे.
१० जगहकी तंगी होनेसे श्री शान्तिनाथ स्वामीके मन्दिर में यतिलोग उतरते हैं और उनके देखे देख गृहस्थभी उतरते हैं कि जिससे जिनचैत्यकी मोटी असातना होती है इस असातनाको टालने के वास्ते उस मन्दिरके कोटके नीचे जरुरतके मुत्राफिक उतरने के मकानात बनवाये जायें या टीनके छपर डलवाये जानें या तम्बु डेरे खरीदकर खडे किये जानें.
११ आलोज वुद्धि १० को जब प्रभुकी सवारी नाडावर पधारती है उसके आगे कई रंग रंडे और एक मनोहर इन्द्रध्वज तय्यार कराकर चलाये जायें और प्रभुकी पालकी के पीछे रहने को एक रथ तय्यार कराया जावे.
१२ यात्रियोंकी संख्या जियादा वढती जानेके कारण और रंग मंडपमें जियादा गुंजायश न होनेके सबबसे स्त्री वर्ग और पुरुषोंको समकाल दर्शन पूजाकी इजाजत देने में असातना होती है इस लिये दर्शन पूजाके भिन्न २ समय नियत कर दिये जायें.
१३ रंग मंडपके सिर्फ एक दरवाजा होनेसे यात्रियों के अंदर जाने और बाहिर निकल नेमें बहुत धक्कम धक्की होती है इस लिये रंग मंडप की एक बगल यात्रियोंके निकलने के वास्ते दूसरा दरवाजा निकलवा दिया जावे.
१४ मन्दिरके बाहिर और कोट के अंदर जो दूकानें हिन्दू, मुसलमान, हलवाई वगरहकी लगती है उन दूनोंको वहांसे उठाकर यातो कोट बाहिर लगाई जावे या टांके और बारीकी दीवारकी तरफ लगाई जानें क्योंकी इन दूकानोंके मोजुदा स्थानपर रहनेसे पूजाकरने वाले यात्रि हिन्दू मुसलमान और विना स्नान किये हुये मनुष्यों से स्पर्श होकर फिर पूजा करते हैं. भारी असातनाका कारण है.
यह बड़ा
१५ स्त्री वर्ग जो कोट के नीचेही टट्टी बैठजाती हैं ठीक नहीं है मर्दों और स्त्रियों के टट्टी के मैदान अलहदा अलहदा कायम करदिये जायें.
हम आशा करते हैं कि ऊपर लिखी हुई बातोंपर लक्ष दिया जाकर शीघ्र ही बन्दोबस्त किया जावेगा तो आयंदा और और बातोंकी सूचना देखेंगे कि जिनका इन्तजामभी बहुत ही जरूरी होगा.