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________________ १९०५ ] . समाचार संग्रह, समाचार संग्रह. हमारे नुनने में आया है कि स्थानकवासी ( ढुंढिवा ) समुदायकी प्रथम कोनफरन्सकी बेठक मोरबी (काठीयावाड) में इनही दिनोंमें होगी जिन दिमोरबी स्थानकवासी नोंको पाटनके संबनें श्वेताम्बर कोनफरन्सकी चोथी बैठकके कोनफरन्स. वास्ते पसंद किया है और मोरबीबालोंने पहिलेसही यह दिन मुकर्रर किये हैं.इन दोनों कोनफरन्सोंके समकाल होनेसे एक समुदायके मनुष्य दूसरी समुदायकी कोनफरन्समें शामिल नहीं हो सकेंगे. या तो पाटनके संघका फर्ज है कि फागण लुदि ६ या ७ से श्वेताम्बर कोन्फरन्सकी तारीख मुकर्रर करें या मोरवीवालोंको उचित होगा कि वह आनी कोनकरन्सको तीन चार दिन आगे सरकावे, श्री फलोभी पानायके वार्षिकोत्सव पर नागोर शफाखानाके डाक्टर नगीनदासनें कौन फरन्स निमार फडके वाले यात्रियोंके डेरों परं जाकर जो कुछ डाक्टर नगीनदासकी उन्होंने राजी खुशी दिया लेकर एक सारे दिनके परिश्रमके दिलसोजी.. साथ रुपये ३६) इकठे किये कि जो कोनकरन्स ओफिसमें जमा हुवे हैं. डाक्टर नगीनदासका यह प्रयास बहुतही प्रसंशनीय है. अगर इसही तरह हर जैन बच्चा कमर बांककर अपने समाजकी महा सभाक वा ते कोशिश करे तो कोकरन्सके हाथमें लिये हुवे कान शीत्रही फलदाई हो सकते हैं... पाहाणाके भाट लोगोंने जो किसी के बहकानेसे और अंदरुनी मददसे अपने पूज्य मुनिराज पर मारकूटका दावा किया था और जिसकी तहकीपालीलाणाके भाटीने राजी- कामें दोनों तरफो। हजारों रुपयों के खर्च के साथ वकील, बारि, नामा दाखल किया. स्टर रखे गये थे उस सुकदमें भाट लोगोंने पालीताणा ठाकर ___ सर मानसिंहजीके मरतेही राजीनामा दाखल कर दिया है, इस मुकदमे पहिलेही कोई तंत्र नहीं था सिर्फ हट धर्मासे यह मुकदमा चलाया जाता था. " भाट लोगोंके राजीनामा पेश कर देने परही हम लोगों को राजी नहीं होना चाहिये बल्कि इन भार लोगोंका आयंदाके वाले पूरा बन्दोबस्त करना उचित है कि जिससे किर इन लोगोंको ऐका होसला पेदा न हो. सूरतके वकील और जैन श्वेताम्बर ग्रज्यूएट्स एसोसिएशनकै मेंमबर मिस्टर सूरचंद ।
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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