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________________ [ सप्टेम्बर ५१) जैन कोन्फरन्स हरेल्ड. और मन्दिरजीकी मरम्मतके वास्ते टीप करी गई नीचे मूनिवः नाजिमनी साहब गुलाबचंदजी ढढ्ढा कल्याणजी गोलेछा छगनलालजी चपलोत मांगीलालजी चौधरी कल्याणवक्षनी चोधरी मीठालालजी गोलेछा बालाबक्षजी गोलेला बाळूलालजी गोलेछा जमनालालजी महता मु. १४९) इस मुवाफिक इन्तजाम करके मन्दिरके कामकाजका यह ठहराव किया गया कि मिति भादवा सुदि २ सम्वत १९६२ से नई बहीमें हिसाब शुरू किया जावेगा. और हिसाब रोकड जमा खर्चका छगनलाल चपलोत और मांगीलाल चौधरी करते रहेंगे आज पहलीका हिसाब तै हो चुका सो सबको मंजूर है पुराना भाडा वगरह जो इससे अलहदा है वह वसूल करके जमा करना है: ___गांव बरवास तहसील टोडारायसिंघ निजामत मालपुरामें पहुंचकर जैनी अगरवालोंमें कन्याविक्रय बंद कराकर नीचे मूजिब नविश्त कर्राई गई: ___ " आज पञ्च महाजन जैनी. अगरवाले साकिन बरवास तहसील टोडारायसिंघ परगना मालपुरानें कन्या विक्रयको बुरा समझकर और धर्म शास्त्रके हुकमके खिलाफ समझकर रोबरू नाजिम गुलाबचंदजी व तहसीलदार लखमीचंदनी अपनी राजी खुशीसे यह ठहराव किया कि आजसे आगे कन्याका विवाह मुवाफिक धर्म शास्त्रके किया जावेगा और कन्याके सासरेवालोंसे सिर्फ नेगके रुपये ५१) जो हमेशासे हमारे बडेरोंने रीत बांध दी है वह तो चाहो गरीव हो या अमीर हो खीचेंगे बाकी कोई रुपया कन्याके सासरे वालोंसे नहीं लेवेंगे अगर किसीका . लेना साबीत हो जावे तो वह शख्स पञ्चोंका गुनहगार है मिति भादवा सुदि ७ सम्बत १९६२ का." द. ईसरलाल; द. धन्नालाल; द. छोटीलाल द. कुंदालाल; द. रुवनाथ. द. रामचन्दर . द. माधोलाल. द. छोगालाल द. लाखा
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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