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________________ ..जैन कोनफरन्स हरेड, [ सप्टेम्बर कोई रुपया लडकीके सासरवालोंसे लेवेंगे नहीं. रीत वगैर लियेही लडकीको परणा देवेंगे और सरधा सारू जो बण आवेगा लडकीके लगा देवेंगे अगर किसी भाईकी सरधा जीमनवार बगरह करनेकी नहीं होगी तो (जीमनवार) मत करो उसकी किसी तरहकी चर्चा करेंगे नहीं बलके आगे होकर उस भाईके साथ रहकर लडकीका विवाह करा देवंगे अगर (किसीके पास ) लगानेको हो और वह लगावे तो उसको मना दी नहीं उसकी सरधा हो सो लगावो. अगर लडकीके रुपये लेना साबित होजावे तो उस भाईके साथ जातका व्योहार न्योता, लावना बन्द है. हमने अपनी राजी खुशीसे यह ठहराव श्री जैन श्वेताम्बर कोनफरन्सके ठहरावके मुवाकिक किया है सो हमको मंजूर है इस लिखतसे बदलें तो श्री परमेश्वरजीसे बेमुख होवें और यह अस्ल नविश्त कुल पञ्चोंके दस्तखती जैन महा सभाके दफतरमें सोंप दी जावे ताकि महा सभाके पत्रमें छपकर प्रगट हो जावे और एक नकल इसकी पञ्चायती मालपुराकीमें रहै मिति सदर." द. मूलचन्द नगर सेठका द. श्रीचन्द वीराणीका द. सुवालाल लोढाका द. कल्याणवक्ष श्री श्रीमालका द. चन्दनमल लोढाका द. नेमीचन्द लोढाका द. हमीरमल बीराणीका द. केसरलाल लोढाका द. धन्नालाल सोनीका द. राजमल जामडका द. सुवालाल जामडका द. छगनलाल बीराणीका द. वालावक्ष रांकाका द. किशनलाल सुखलेचाका द. कुन्दनमल जामडका द. चौथमल श्री श्रीमालका द. कनहयालाल श्री श्रीनालका द. सुवालाल वीराणीका द. कस्तूरमल जामडका द. सूरजमल नहारका गांव बोराडा तहसील मालपुरामें एक मन्दिर है परन्तु वहां पर ढुंडिया साधूओका प्रचार जियादा होनेसे वहांके श्रावकोंने मन्दिरकी सेवा पूजा बिलकुल उठा दी थी और पूजा सेवाका प्रन्बध बिलकुल नहीं था. वहां पहुंचकर श्रावक समुदायको इकठा करके नीचे प्रमाण लेख लिखाकर सेवा पूजाका इन्तजाम कराया गया:--- " शुभ सम्वत १९६२ मिति भादवा वुदि ११ सनिचरवार तारीख १६ आगष्ट सन १९०५ समस्त पञ्च औसवालान मोने बोराडा तहसील व निजामत मालपुराने रोबरू नाजीमजी साहब श्री गुलाबचन्दनी ढहाके यह ठहराव किया कि इस गांममें जो मन्दिर एक श्री पार्श्वनाथजीका है उस मन्दिरमें हम सब लोग दरशण तो रोज मर्रा करेंगे और दरशण करनेके बाद रोटी खायेंगे और बीमारी या सुवासूतककी हालतमें या दूसरे गांव चले जायें और दरशण नहीं होने को छूट है अगर भूल चूकसे दरशण नहीं हो तो दूसरे दिन दूध नहीं पी और
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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