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१९०५ ] जैन श्वेताम्बर ग्रज्यूएट्स ऐसोसिएशन्के प्रसिडेंट मि. गुलाबचन्दनीका प्रयास. ३०१ प्रतिदिन पूजा करते हैं. केसर, चन्दन, धूप, दीपसे अच्छी तरह पूजा होती है. पञ्चायती मन्दिरके वास्ते अलावा खर्च केसर चन्दनके चार रुपया माप्तिक पर एक पुजारी रखा गया है. उसको दो रुपया मासिक मिस्टर ढढा अपने पाससे देते हैं और दो रुपये मासिक मालपुराके अन्य सद्गृहस्थोंसे दिलाते हैं. इसके बाबत नीचे प्रमाण लेख लिखकर मालपुराके श्रावकोंने पावन्दीकी है और लेखको सिपर्द मिस्टर ढढा कर दिया है:
“श्री मालपराके पंचायती मन्दिरकी सेवा पूजाके इन्तजामके वास्ते एक गहाण अथवा सेवग कि जो मन्दिरमें रात दिन रहेगा, तजवीज किया गया है. ब्रामण रहे तो महिना एकके रुपये चार तक देना और सेवक रहै तो दो रुपयेका महिना और घर दीठ रोटी देनी. और इस तनखुहाका इन्तजाम नीचे मुजिब किया गया सो श्री
जीको हाजर समज कर इस मुवाफिक हमेशा देते रहेंगे. मिति अषाढ शुदि ७ सम्बत १९२२ का. २) लखमीचंदजी गुलाबचन्दजी ढढ़ा.
मासिक १) सुन्दरलाल जामड न)। कुन्दनमल जामड
। चौथमल श्री श्रीमाल c)। कनहयालाल श्री श्रीमाल -)। कल्याणबक्ष श्री श्रीमाल क)। जमनालाल पोरवाड A) बालावक्ष रांका a) किशनलाल सुकलेचा =)। सूरजमल नार =)। सुगनचंद जाड -)चोथमल जानड -)| किस्तुरमल जामड
॥ धन्नालाल सोनी
इसके पश्चात् इसही मालपुराम भादों मुदि ६ को कुल जैन समुदायको उपदेश देकर मालपुराके संवसे नीचे मुजिब लेख लिखाकर आयंदाके वास्ते कन्या विक्रयका प्रबन्ध कियाः
"शुभ सम्वत १९६२ का निति भादवा सुदि ६ वार सोमवार मुताबिक तारीख ४ सितम्बर सन १९०५ इ. कुल पञ्चान औसवालान श्री पथूषण पर्वके दूसरे दिन दादाजी श्री कुशल सूरिजीकी दादावाडीमें खमत खामने और दरशन करनेको इकठे होकर सबकी सम्मतिसे यह ठहराव किया कि आयंदा मालपुराके पञ्च औसवालन खुदकी लडकीके रीतके नामसे