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________________ २६.६ #न कोनफरन्स हरेरुड, [ऑगष्ट पात्र है अगर इसही तरह पर हर वक्त पाठशालाबोंकी संभाल होती रहेगी तो थोडे अरसेमेंही कुल पाठशालावोंका काम ठीक तौरपर चलने लगेगा. बहतर यह हो कि एक स्थायी इन्सपेक्टर अच्छी तनखहाका अच्छे ज्ञानवाला रखा जावे कि जो हिन्दुस्थानकी कुल प्रान्तों में दोरा करके पाहशालावोंकी और पुस्तकालयोंकी अच्छी तरह संभाल करता रहै और समय समय पर लेकचर द्वारा बच्चोंके कोमल दिमागों पर कोनफरन्सके कामकाजका असर जमाता रहै और जिस तरह पर यह अंकमें एक विद्वान महात्मानें अपने लेखमें पाठशालाकी “ सीरीझ" पर जियादा जोर दिया है वैसी एक "सीरीझ' खास इनाम दीजाकर तय्यार कराई जावे और सब पाठशालावोंमें क्रमसे वह ही " सीरीझ" पढाइ जावे. इस तरहकी पढाइसे कुल पाठशालावोंमें आपसमें इतिफाक बढेगा और उन सबका काम काज एक ढंग पर होता रहेगा. इन पाठशालावों में पढनेवाले बच्चे थोडे ही जमानेमें हुशयार होकर कोनफरन्सके तरफदार और सहाइ हो जायेंगे और कुल जैन समदायका भला करनेवाले निवडेंगे. अगर इस तरहका कुल इन्तजाम श्रेयस्कर मंडल खुद न कर सके तो वाजबी मददके वास्ते कोनफरन्सको दरखुवास्त करना उचित है. इस मंडलके काम काजमें खर्च नीचे मुजिब हुवा है:... १२३|||. परीक्षक दुल्लभदासकी तनखुहा दर रु. २०) माहवार ५२॥॥ मासटर वलभदासकी तनखुहा दर रु. ७||) माहवार १२॥ ॥ शा अमृतलालकी तनखुहा दर रु. २॥) माहवार २०)| कंटिनंट खर्च कागज, कवर वगरह ६२) मासटरोंको इनाम और लडकोंको प्रभावना १६६।- आठ पाठशालावोंको मदद दी गई १७०)। महसाणा श्रेयस्कर मंडलकी ओफिस खाते. कुल खर्च ५९८||) इस खर्चमें परीक्षककी तनखुहामें बधारा होना चाहिये. छोकरोंको प्रभावना दी गई यह तो ठीक क्यों कि मीठेके लालचसे भी छोकरे पढनेको आवे तो अच्छा है परन्तु प्रभावनाके साथ साथ धर्मपुस्तक, कागज, कलम वगरहका इनाम दियाजाना बहूतही जुरूरी है. कंटिनंट खर्च बहुत कम हुवा. जबतक इस मंडलकी खत व कितावत जियादा नहीं बढेगी और आम तौर पर इसका हाल मालूम नहीं होगा उस वक्त तक इसका विचारा हुवा फल शीघ्र प्राप्त नहीं हो सकता है. आयंदा प्रान्त वार हर स्थानसे चिठ्ठीव्योहार रखा जावे, गुजराती और हिन्दि भाषामें समय समय पर सूचनायें छपवाकर बांटी जावें तो बहतर होगा. पाठशालावोंकी
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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