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________________ १९०५] समाचार संग्रह.. २५१ हम खुशीके साथ प्रगट करते है कि हमारी प्रार्थना पर पंजाब युनिवरसिटीके रजि 1 ष्टार साहबने अपनी चिठी नम्बरी .९०८ तारीख १३ जूलईके पंजाब यूनिवरसिटीकी ट्रार साहबान अपना चिठा नम्बरी ९०८ त परीक्षा जयनी खासतो. द्वारा इस वातको स्वीकार किया है कि पंजाब यूनिवरसिटीके तमारपर 'जैन' दर्ज किये म इमतिहानो ( परीक्षाओं ) की दरखुवास्तोंमें एक खाना और जावेंगे. जियादा बढाया जावेगा कि जिसमें जैनि विद्यार्थि अपने आपको जैनी लिखा करें. इस प्रकारके खाने के रखे जानेसे यूनिवरसिटीकी परीक्षाका नतीजा देखनेसे फोरन मालूम होसकता है कि अमुक २ परीक्षामें इतने जैनी पास हुवे. ___ कॉनफरन्सके हेडऑफिस मुंबईमें जैनश्वेताम्बर डायरेक्टरीका काम धूमधामसे चलरहाहै. गुजरात, काठियावाडके श्रावकोंकी तरफसे इस काममें पूरी मदद डायरेक्टरीका काम ... मिली है. राजपूताना, पंजाब, पूरव, बंगाल, मदरास वगरह प्रांतोभी फार्म भेजे गये हैं. . श्रीशत्रुजयतीर्थके मुतालिक पालीताणाके ठाकुरसाहब जैनियोंसे पूरा पूरा द्वेष बढाते .. हैं. रातदिन जैनियोंको तकलीफ देनेकी कोइ न कोइ घडंत होती श्रीशत्रुजय तीर्थ. • रहती है और वह वह तरकीबें सोची जाती है कि जिनसे यात्रियोंको महान कष्ट सहन करना पडे. शेठ आणंदजी कल्याणजीके ट्रस्टी साहब बहुत सबके साथ काम चलारहे है और ठाकुरसाहबके हर कामकी नोंध लेकर अपने विद्वता और डाहापण से विचारपूर्वक काम कररहे है परन्तु अभी कोई अच्छा परिणाम नहीं आया है. ठाकुरसाहबको मुनासिब है कि, अब वह सब करके बैठे, इनसाफको हाथसे न छोडें क्योंकि बुराईका नतीजा हमेशा बुरा है. पंडित चमनलालजी ज्योतिषी रम्माल, दहली निवासीने अपनी तरफसे सम्वत १८५२ ___ का पञ्चाङ्ग जन्त्री, नवरोज हमारे पास भेजकर इच्छा प्रगट करते हरल्डक ग्राहकाका है कि जैन कोनफरन्स हरैल्डके ग्राहकोंको पंचांगादि सिर्फ डाक पञ्चाङ्ग मुत्फ मिलेगा. " महसूलका आधा आनेका टिकट वसूल होनेपर विना मुल्य भेजा जावेगा. उक्त पंडितजीनें उदारताके साथ कोनफरन्सपर कृपा की है जिसके लिये उनको धन्यवाद दिया जाता है. हमारे बाचक वर्ग उक्त पंडितजीसे इस अमूल्य पंचांगको मंगवाकर फायदा उठावेंगे.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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