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२५० जैन कोल्फरम्साहरैण्ड.
[ जुलइ जीरामें बडी दीक्षा-जीस जिला फीरोजपुर देश पंजाबमें गत आषाढ सुदि १ सोमवारके दिन तीम साधु और पांच साध्वियोंकी बडी दीक्षा की क्रिया मुनि श्री हीरविजयजीके शिष्य पन्यास श्री सुन्दरविजयजी गणीने कराई है.
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राजपताना-पंजाबमें राजपुताना और पंजाबमें मुनिराजोंका चोमाशा नीचे मुनिराजोका चतुर्मास. मुजिब है.
आचार्य श्री कमलविजयजी आदि .... .... .... रतलाम जिला माळवा. उपाध्याय श्री वीरविजययी आदि .... .... .... लशकर गुवालियार. मुनि श्री धर्मविजयजी दोलत विजयजी ( उपाध्याय श्री बीरविजयजीके शिष्य ).... .... .... .... आगरा. मुनि श्री परमोद विजयजी आदि .... .... .... सादडी ( मारवाड) पन्यास श्री जस मुनिजी आदि । .... ... .... बिलाडा ( मारवाड.) मुनि श्री हीरविजयजी, वल्लभ विजयजी, पन्यास श्री सुन्दर विजयजी आदि
जीरा जिला फीरोजपुर. मुनि श्री उद्योत विजयजी आदि .... .... .... लुधियाना (पंजाब) मुनि श्री चारित्र विजयजी आदि .... .... .... नारोवाल (पंजाब) प्रतापगढ जिला राजपुतानामें जैन विवाह विधिके मुवाफिक चार लग्न हुवे जिनमेंसे
प्रथम जैन श्वेताम्बर हुमड ज्ञाती घिया लक्ष्मी चंदजीके मध्य वाह विधिके मवाफिक भ्राता शंकर लालजीका लग्न गांधी देवराजजीके लघ भ्राता बाललग्न.
चंदजीकी पुत्रिसे हुवा. वहां पर मंडपादि अनेक मांगलिक चिन्ह यथा विधि सुसजित थे. द्वारपर रक्त वस्त्रमें स्वर्णाक्षरसे स्वागत शब्द लिखा हुवा ऐसा प्रकाशमानथा कि मनुष्य उसकी तरफ अवश्य दृष्टि डालकर खुश होतेथे--विवाह खूब धमधाम से हुवा. इस विवाहके रीति रिवाजसे खुश होकर इस ही के मुवाफिक तीन लग्न और जैन विधिसे हुवे. यह सब नतीजा कॉनफरन्सके अनुयाई धिया लक्ष्मीचंदजीकी प्रेर्णा और धर्म लागाणीका है.
राज
देवगांव जिला अजमेर ( राजपुताना ) में श्वेताम्बरी ११ प्रतिमावें पाषाण की अति
. मनोहर जमीनमेंसे निकली है और एक जैनीकी दुकानमे विराक्यावम मूतिया जती है, देवगांवमें श्वेताम्बर जैनका सिर्फ एक घर है इस कारण निकली.
.... धूजाका प्रबन्ध ठीक-तोर पर नहीं है, उन प्रतिमावोंकी आशातना | टालनेका विचार चलरहा है जो नतीजा निकलेगा अंको प्रगट किया जावेगा.