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________________ ०७२ जैन कोन्फरस हरेल्ड. [जुलाई प्रेरितपत्र. जैन श्वेतांबर कोनफरन्सना अधिपति तथा संपादक योग्य. लखवानुं के जैन श्वेतांबर कोनफरन्स आप साहेबे चालु करी जैनोने लांबी ऊधमांना जगाड्या छे एटलुज नहीं पण जैनधर्मनो मूल पायो जे ज्ञान-धार्मिक तथा सांसारिक बने प्रकारचं छे जेमा एक भाग जे सांसारिक केलवणीमा आगळ वघेला ग्रेज्युएटोनुं एक मंडर ऊभु कीबूं छे तेथी जे केटलाको नाम जैनधर्मनुं धरावता छतां खराब सोबती अकृत्य तथा नास्तिक मार्गे दोराता हता ते मर्यादामां आवी पोताने तथा जैनधर्मने घणो फायदो करी शकशे. पण गुजरात, दाक्षिण, मालवा, मारवाड, ज्यां जैन श्वेतांबरोनो मोटो जथो छे तेमां देरावासी साधुनी संख्या कमी छे; ते कमीमां ज्ञानवाला पण ओछा; ते ओछामां विहारमा शिथिल तेथी घणी जग्याए अन्य धर्म पालवा मंड्या छे, अने नवो उत्पन्न थएलो स्थानकवासी पंथ चोमेर फेलाइ गयलो छे. ते बंने एवा गांढा सम्बन्ध धरावे छे के बे सगा भाइ तेमां एक देशवासी बीजो स्थानकवासी; आथी ज्यांसुधी बनेमां मतभेद होय त्यांसुधी उन्नति थइ शके नहीं. वली कोइ जग्याए बनेने लग्न सम्बन्ध होवाथी सांकल माफक जोडाया छे. ___ मारवाड, गुजरातनी सरहदमां पालणपुर नवाबी राज्य छे. त्यांनो हंमल वतनी होवाथी मने पूर्ण अनुभव छ के त्यां बनेमा संप हतो त्यांसुधी १००० एक हजार घर ओस. वालना हतां. कुसम्प थया पछी प्लग दुकाल वगरहथी बने पक्षना त्रणसो त्रणसो घर के. स्थानकवासीमां आगेवान पीतांबरभाइ हाथीभाइ वैद मोटा छे. तेमना उत्तेजनथी त्रण चारे बी. ए. तथा उची डिगरी मेळवी छे. पण देरावासी अशांतताथी, स्थूलबुद्धिथी बीजा काममा दर वरसे लाखो रुपया खर्चवा छतां केलवणीने उत्तेजन न आप्याथी एक पण रत्न पाक्यु नथी. एक हाइकोर्ट प्लीडर वेलचंद उम्मेद धोलकामां छे, तेज पालणपुरनो दरावासी छे. ___माटे जो स्थानकवासी केलवणी लीधेलाने आपनी विद्वताथी साथे जोडी तेमन लिष्ट जु, पाडी साथे राखो अने फी भले न आपे तो पण साथे जोडायाथी तेओ घणा उपयोगी थशे. मारे केटलाक स्थानकवासीथी सम्बन्ध छे, . छतां रुबरु न मळवाथी विशेष वात नथी. जो तेओ साथे जोडाय तो तेमनी मारफते तेमना अज्ञान साधुओ द्वेषबुद्धिथी श्रावकोने देरे जतां अटकावे छे एटलुंज नहीं पण अपूज्य मूर्तियो राखी मांगवा छतां श्रावको आपता नथी तथा क्लेश उत्पन्न थई श्रावकोनी मोटी खराबी थायछे ते अटके. जैनोनुं अमूल्य द्रव्य जे देहरां मूर्ति छे तेनो नाश थतो अटके. देरावासी साधुओ विहारनी मंदताथी तथा जैनोनी लुक दृष्टिी एक ने एक जग्याए सा। धुओने रहेवा आग्रह करे छे तेथी भगवाननी आज्ञानु उल्लंघन थाय छे एटलुंज नहीं पण
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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