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हींदमां एक सामान्य भाषा.
कोईपण प्रजानी ऐक्यता करवामां वीजा कारणोनी साथे एकज सामान्य भाषा होवार्नु पण समजवामां आवे छे. जो हिंदुस्तानमां कोईपण सामान्य भाषा थई शके एवं होय तो ते हिंदी छे. एक पंजाबी अथवा बंगालीने कोई गुजराती जाणनारो अजाण्यो माणस मळे तो प्रथमज ते हिंदी भाषामांज बोलवानो प्रयत्न करे छे. एक नवो आवेलो युरोपीयन देशी भाषानी शरुआत भागातुटा हिंदुस्थानी शब्दोथी करे छे. अने गुजरात, दक्षिण वगेरे स्थळे पण ते युरोपीयन पोताना लांबा वसवाट पछी पण हिंदुस्तानीमांज देशीओ साथे वातचीत करे छे.
युरोप खंडमां फ्रेंच भाषा सामान्य अने सौथी मधुर गणायछे. अने एशिआ खंडमां फारसी भाषा मीठाशवाली कहेवाय छे, त्यारे भरत खंडमां हिंदी भाषा सौथी वधारे मधुर अने जोशदार गणाय छे. ए भाषानुं साहित्य पण पूर्णताए पहोंचेलं छे.
कवि लोको हिंदुस्ताननी वखणाती वस्तुओना मुकाबलामां कहे छ के-वाणी पाणी अने गायन हिंदुस्तानमां-एटले उतर हिंद- पाणी मजबूत, गायननो शोख विशेष अने वाणी-भाषा सर्वोत्तम. जुदी जुदी भाषाओनो मुकाबलो करतां एक कहेवतमां कयुं छे के:
ईधर किधरकी सोल आनी, ईकडुन तिकडुनकी बार, अठे कढेकी आठ आनी, मुंसांके पैसे चार.
एटले ईधर किधर-हिंदी भाषानी कीमत रुपीयामां सोल आना, इकडुन तिकडुनमराठीन बार आना, अठे कढे-मारवाडीना आठ आना त्यारे सुंसां-गुजराती भाषाना चार पैसा--(कदाच चार आना) गणवामां आव्या छे. भाषानो जुस्सो अने मीठाश एज प्रमाणमा हालमा जोवामां आवे छे.
गुजराती, मराठी, बंगाली, मारवाडी, वगेरे भाषा बोलनाराओपण सामान्य कहेवतो, नाखी. दोहरा, अने कवितो द्रष्टांतरूपे हिंदुस्तानी भाषामांज बोलता जोवामां आवे छे.
संस्कृत भाषानुं व्याकरण घणुंज कठण छे. हिंदी भाषाना शब्दकोशमां लगभग तमाम शब्दो संस्कृतज जोवामां आवे छे ए रीते जोतां संस्कृत भाषानी तमाम माधुर्यता अने सुदरता हिंदी भाषामां टकी रहेली छे. त्यारे संस्कृत भाषानुं मुशकेल व्याकरण हिंदी भाषामां नहीं होवाथी मोटी कडाकुट मटी जायछे. मराठी भाषाना व्याकरणमां पण अनेक रुपो जोवामां आवे छे.
९ रीते जोतां हिंदुस्ताननी कुल वस्तीमाथी ओछामा ओछा अराड अने वीस लाख माणसने माटे एक सामान्य माषा उत्पन्न करवा माटेना साधनो आपणी सनमुख तैयार पडेलां छे,