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________________ २४२ - जैन कोनफरन्स हरेल्ड. [जुलई एक विद्यार्थीने भूगोलन ज्ञान प्राप्त करता जेटलो समय जोईए ते करतां ओछो बखत अने खस्क हिंदी भाषार्नु जरुरी ज्ञान मेळववाने तेने पडे छे.. ए अराड करोड मनुष्यनी एक भाषा करवामां ग्रंथकर्ताओ, अनुवाद-तरजुमो करनाराओ अने बीजा अनुकरण करनारा माटे धंधानुं मोटुं क्षेत्र उत्पन्न थशे. बंगाली सिवाय बीजी देशी भाषामां एवां पुस्तक बनावनाराओनी एवी फरियाद छे के पुस्तक प्रसिद्ध करवानुं काम तेओने खोटथी करवू पडेछ. अने तेम थवानुं कारण देखीतुंज छे के जुदी जुदी भाषा बोलनाराओनी संख्या ओछी ज छे. पण जो अराड करोड माणसनी एकज सामान्य भाषा होय तो पुस्तक प्रसिद्ध करनारा, न्युसपेपर वाळाओ विगेरेने एकज सामान्य भाषामां लखवानुं तेओनी मोटी उन्नती, साधन थई पडशे. होशीआर अने विद्वान वर्ग आ जातने धंधे वळगवाने शक्तीवान थशे. वळी एक सामान्य भाषानी मारफते जुदी जुदी जातना अर्वाचीन शास्त्रोनुं ज्ञान साधारण लोकोमा फेलाक्वानुं बहुज सुगम थई पडशे. हालमां अंग्रेजी भाषामांथी तरजुमो करीने कोईपण अमुक शास्त्र प्रसिद्ध करवामां आवे छे, अने ए रीते तरजुमानो अने छपाईनो खरच बहोलो थई पडे छे. बारीक तपास करतां अने हिसाबनी गणत्री करतां मालम पडे छे के आ खरच अने अडचणो कंई जेवी तेवी नथी. जो एकज सामान्य भाषा होय तो मात्र तेज एकज भाषामां एकज वखत तरजुमो करवो बस थई पडे छे. एकज सामान्य भाषामा धंधासंबंधी पत्र व्यवहार करवाथी देशनी अंदरनो एक जिल्ला साथे बीजा जल्लानो वेपार घणो वधी जशे अने सुगम थई पडशे. अने ते रीते वेपारीओने सारो नफो थशे. एकज सामान्य भाषा थवाथी राजप्रकरणमां पण मोटो फायदो थशे कारणके सरकारना सीवील अने लष्करी अमलदाराने घणी अने जुदी जुदी भाषाओ शीखवाने बदले एकज भाषा शीखवी पडशे. वळी तेथी अमलदारोनी बदली हिंदमां एक जिल्लामाथी बीजा जिल्लामा सहेलाईथी थई शकशे, अने जे जे जिल्लामां तेनुं जq थाय त्यांनी भाषा शीखवानी कटाकुट तेने करनी पडशे नहीं. . नेशनल काँग्रेसने पोतानी फर्यादो संगीन पायापर रजु करवाने हिंदुस्ताननी एक प्रजा (Nation ) होवानी खरेखरी आवश्यकता छ; अने एक सामान्य भाषाना एक बंधारण-गांठ वगर खरेखरी प्रजा बनी शकेज नहीं पण मात्र लोकोनुं एक टोलुंज बनेलुं रहे छे. एक गरीब माणसना पोताना घरमां दाटेलो एक खजानो होय पण तेनी तेने खबर नहीं होय तेज़ प्रमाणे हिंदी भाषा आपणा संबंधमां एवो एक गुप्त ख जामोछे ते खजानो जडतांति गरीब
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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