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१९०५ बिनारस जैन संस्कृत पाठशाळा.
२३९ गत २८ मे सन १९०५ के दिन वार्षिक रीपोर्ट, पढकर सुनानेका तथा इनाम बांटनेका जलसा बडे ठाठमाठसे किया गया था. जिसपर मुम्बईसे सेठ.वीरचन्द दीपचन्द, सेठ गोकुलभाई मुलचन्द अपनी · धर्म पत्नियों समेत तथा कलकत्तासे राय बहादुर बद्रीदासजी मुकीम अपने पुत्र राजकुमार सिंहजी सहित तथा अन्य सद्गृहस्थ पधारेथे. इनामकी रकमपर नजर डालते हुवे मालूम हो सकता है कि सेठ वीरचन्द दीपचन्द इस पाठशालाकी तरफ पूरी लागणी रखते है. पाठशालाके जलसेमें बनारस वगरहके विख्यात सद्गृहस्थ पधारेथे और मुनिश्री. धर्म विजयजीसे मिलकर तथा पाठशालाकी कार्यवाहीकी बहूत प्रशंसा की. हम वीतराग प्रभुसे प्रार्थना करते है कि श्रीधर्म विजयजीका प्रयास बहुत जल्दी सफल होवे.
___ इस पाठशालाके मुतालिक जो पचास पचास रुपयोंकी तीन स्कालरशिपका दो बर्षके वास्ते किसीभी यूनिवरसीटीके जैन ग्रेज्यूएटोंके वास्ते प्रबन्ध किया गया है बहूतही उत्तम है. कौनफरन्सकी तरफसे दो स्कोलरशिप तथा सेठ वीरचन्द दीपचन्द, रायबहादुर बदरीदासजी और सेठ गोकलभाई मूलचन्दकी तरफसे एक स्कालरशिपके देनेसे भाग्यशाली तीन ग्रज्यूऐट इस तरहकी उम्दा तालीम पा सकेंगे कि जो देश परदेशमें पहुंचकर जैन धर्मक ध्वजा पताका फरकावेंगे. इस बातकी बहूतही आवश्यकताथी कि जिसको उक्त महाशयोंने दृढ विचारके साथ सम्पूर्ण किया है.
पाठशालाके अध्यक्षोंका विचार हम इस तरफभी खेंचना जुरूरी समझते है कि जितने लडके इस पाठशालामें पढते है उनकी परीक्षा लेकर जो जो लडके लेकचर अर्थात् उपदेश देनेकी शक्ति अच्छी रखतें हों उनको चुनकर खास उपदेश देनेको उत्तम शक्ति पैदा करनेकी तरफ उनको रूजूकरें क्योंकि इस पाठशालाके साथ अपनी समाजकी महासभाका बडा भार तालुक है कि जिसका हाल इस पाठशालाके वास्ते कोनफरन्सकी तरफसे पचास पचास रुपयेकी मासिक स्कालरशिपके अर्पण करनेसे मालूम हो सकता है. एसे उपदेशकोंकी अपनी सामाजिक तरक्कीके वास्ते हमको बहूत आवश्यकताहै और हम सबके साथ उस दिनका इन्तजार कर रहे है कि जब हमको इस पाठशालाकी तरफसे पाच सात अच्छे उपदेशक तय्यार करके दिये जावें. अज्यूएटोंमेंसे यद्यपि अच्छे उपदेशक पैदा होनेकी माशा है परन्तु उन लोगोंकी सर्विस हम बड़े कामोंके वास्ते राजर्व रखना चाहते है कि जिसका हाल समय आनेपर मालूम होसकता है.
हम इस पाठशालाका अपने खरे अन्तःकरणसे भला चाहते हुवे और मुनि श्रीधर्म विजयजी आदि भन्य मुनियोंको भौर पाठशालाके विद्यार्थियोंको. उनके श्रमके लिये धन्यवाद देते हुवे हमारे मुनि मंडलका ध्यान इस पाठशालाकी तरफ खेंचना चाहते हैं और उनसे