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________________ जैन बोनापस हरेल्ड. चर्चापत्रो. aren एक तीर्थस्थळमां जिर्णोडारनी जरुर. ___श्री संघ-मुंबई. __भानपुर-देश माळवा, जिल्ला होल्कर तिर्थविजय रामविजय मुनी तरफथी मालुम होवे के जैममें प्रथम वर्षे प्रभाविक तिर्थ श्री पडासळी माम छे. अत्रेथी कोश २० आशरे छे. गंगाधर डगनी पासे छे. श्री रुषभदेवजी मूळ नायक छे. बीजी ३-४ प्रतिमा छे. संप्रती वखतनुं जुनुं मंदिर छे. प्रतिष्ठा लेख सं. ६५ नो छे. प्रभावमां रोज केसर परसेवा तरीके झरे छे. पुजारीने द्रव्यादिक मळे छे, आसातना पोतेज टळावे छे. अमारा उपदेशथी अशाड वदी ४-५ अत्रेना, गुजराती जेठ वद ४-५ नो मेळो भरायो हतो. गाम ४०-५० ना स्थानकवासी श्रावक तथा मूर्तिपूजक श्रावक भेगा थया. रु. १०००) उपज थई. माणस १००० आशरे आवेला हता. आवतो मेळो फागण सुद ४-५ नो निर्णय थयो छे. धर्मशाळा एके नथी. पुजारी ठाकोरना ३-४ घर छे. भोयणी सद्रश जाणो. बडो चमत्कार. जैनतिर्थमां आ तिर्थ बराबर न समजो. चोमासामां पाणी मंदिरमां पडे छे. आशातना टाळवा जरुर छे, जिर्णोद्धार करवानी पुरी जरुर छे. मंदिर जिर्ण थई गयु छे. जैन वर्गने ठाम ठाम खबर दो, प्रसिद्ध करो. विशेष समाचार मंगाववाथी अमे लखीशुं. उमेदमल अमुलखनी दुकान, भानपुर चीठी लखवी. जात्रा लायक छे. १-२ माणस जलदी मोकलो. अमारं चोमासु अत्रे थशे. जेठ सुद ११. श्री जैन कोनफरन्स हरैल्डना अधिपती जोग. हालमा इंग्रेजी राज्यना प्रतापथी जैनोमां केळवणीनो फेलावो ठीक छे. पण हजु स्त्री केळवणी शाझी फेलाई नथी तेनुं कारण वृद्ध पुरुषो विचार करे छे के धर्म विनानी एकली संसारीक केळवणीथी केटलाक युवानो धर्मथी भ्रष्ट थाय छे तो पछी कम अक्कलनी स्त्रीओनी दुर्दशा थवामां बाकी शुं रहे ? पण आ विचारवाळाओ ते जुज नुकसानने बदले फायदा केटला मोटा छे तेथी अजाण्या छे तेमने माटे एक प्रत्यक्ष अनुभवनो दाखलो जाणवा जोग छे ते प्रसिद्ध करशोः दक्षिण तथा खानदेशमां मारवाडी भाईओ छूटक छूटक गामडांमां वहेंचाई गया छे. फक्त सवारमा उठी रात सुधी धंधो करी पशु जेवीज जींदगी अज्ञान अवस्थाथी भोगवे छे तथा लग्न भरण वखते देवादार थई मोटां खर्च करे छे पण केळवणी माटे, कंई उपाश्रय तथा देहेरा माटे पैसो काहाडे तेवा मथी. तेवाओनी स्थिति केम सुधरे तेना माटे जाते तपास करवानो विचार थवाथी आ तरफ फरतां गाम* * * चांदवड तालुकामां जे आग्रारोडनी सडक उपर छे त्यां श्रावकोनी १० दुकानो छे. पण त्रण चार दुकाने उतरवानी (वस्ती आपवानी) मागणी पण कबुल करी नहीं. छेवट चुनीलाल नामना ग्रहस्थे जग्या आपी पण मंकोडानी पीडाथी ते जग्या संध्या पछी छोडवा विचार थयो पण क्यां जवू ते मोटो विचार तेवामां चांदमल नामना श्रावकना घरमां तेनी स्री जेनुं पीयर नासीकमां छे ते बाई भणेली होवाथी अने केळवणीनां उत्तम फळथी तरत पोतानी जगा वापरवा आपी तथा पोताना संबंधीओने साधु
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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