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________________ १९०५ ] वार्कय टिप्पणी. २१५ मोजूद है और सुननेमें ऐसा आता है कि उन भंडारोंमें भी कह उपयोगी पुस्तकें रखी हुई है. हमारा विचार है कि जैसलमेरके कुल भंडारों की टीप कराकर उनमें से जो उपयोगी पुस्तकें हों उनका उद्धार कराया जावे. इस कुल भंडारकी दीपके विषयमें हमनें पंचान जैसलमेरको लिखा है. हम आशा करते है कि जिस तरहपर उन्होंनें किलेके भंडारकी टीप करादी है वैसेही बाकीके भंडारोंकी टीपभी करा देवेंगे. सब भंडारोंकी टीप एकत्र होजानेपर टीपको छपाकर प्रसिद्ध किया जा सकता है. बड़ोदा कोनफरन्सके समाप्त होनेपर पाटनके नगर सेठ हेमचन्द बस्ताचन्द तथा सेट पूनमचन्द करमचन्द कोटावालेनें सूरी श्रीकमल विजयजी तथा वडोदाके संघ समक्ष चोथी कोनफरन्सके पाटनमें भरनेकी प्रार्थना की थी जिसपर सब सज्जनोंनें जो वहां पर मोजूद थे आनंदपूर्वक स्वीकार किया था उस आमंत्रणके मुवाफिक अब गत तारीख १७ मे सन १९०९ को कोटावाले सेठकी धर्मशालामें पाटनके संघकी सभा इकट्ठी हुई कि जिसमें नगरसेठ हेमचंद बस्ताचंद, सेट पूनमचंद करमचंद कोटावाला, सेठ पानाचंद जयचंद, सेठ पानाचंद छगनचंद, सेठ उत्तमचंद जेठा वगरह बहुतसे सद्गृहस्थ पधारे थे. पाटनमें चोथी जनरल कोनफरन्सकी तय्यारी इस सभा में कोनफरन्स भरनेके पहिलेकी कार्यवाहीके वास्ते साधारण सभा कायम की जाकर उसके वास्ते मेंम्बर चुने गये है, यद्यपि पाटण एक पुराना खेडा है तो भी इस शहर के बहुतसे जैनि परदेशमें रहते है और उनकी सहायताकी भी शुभकार्य में आवश्यक्ता है. इसलिये वकील रतनचंद बस्ताचंद की दरख्वास्त और वकील वाडीलाल वीरचंद के अनुमोदनपर यह ठहराव हुवा कि पाटनके जैनी परदेशमें रहते है उनके चन्दाभराने के कामके वास्ते एक कमीटि मुकर्ररकी जावे कि जिसके मेंम्बर परदेशमें जाकर पाटननिवासी श्रावकोंसे चंदाभरावें. इस चंदा भरानेकी कमिटीके मेम्बर तरीके नगरसेट हेमचन्द बस्ताचंद, सेट मंगलचंद उत्तमचंद, सेठ पानाचंद जयचंद, सेट बेहचरदास हेमचंद, सेठ गिरधरलाल प्राणजीवन, सेठ रामभाई नगीनदास, सेठ हीराचंद खेमचंद और सेठ लहरूचंद करमचंद नीमे गये. कॉन्फरन्सके निमित्त फंड सुरू करते हुवे सेठ पूनमचंद करमचंद कोटावालाने रु. १२०१ और सेठ जवेरचंद गुमानचंदने रु. १०० टीपमें भरे हैं. टीपका काम जारी है. बडोदा जनरल कॉन्फरन्सके समय तथा आमलनेर पेथापुर सभाके प्रमुख पद धारण करनेवाले दिक्कतें और मुशकिल्मत उक्त शहरोंके वह हमारे भाईयोंसे शायद छुपी हुई नहीं है. इस प्रकार की प्रान्तिक सभावोंके वक्त सद्गृहस्थकी शोध में जो जो संघको दर पेश आई हैं चोथी कॉन्फरन्सके प्रमुखकी शोध.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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