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________________ २०८ जैन कोन्फरन्स हरेल्ड. [ जून जल्दी होना संभव है कि जिस कदर आयंदा कोनफरन्सोंमें इन दो बातोंपर लक्ष्य दिया जाकर कार्यवाही होगी. वह दो बातें यह हैं कि अवलतो मेरी पेथापुरनिवासी बहिनोंने दूसरी और तीसरी कोनफरन्सोसै बढ़कर बहुत ही सब और शान्तताके साथ तीन दिन और रात्रीके समयभी हाजरी देकर अपनी उन्नत्तिकी बातोंको बहुतही उत्कंठाके साथ सुना है. और सिर्फ सुनकर ही चुप नही होगई हैं बलके उन सब बातोंपर लक्ष्य देकर उनहोंने सुधारा करनेकी रायभो प्रगट कीहै. यह विचार बहुतही स्तुतीपात्र है और यह पहिलाही समय है कि जिसमें स्त्री वर्गकी तरफसे ऐसी प्रशंसनीय कार्यवाही देखनेमें आई है. मैं अपने खरे अतःकरणसे अपनी बहिनोंको धन्यवाद देता हुआ अन्य स्त्रीवर्गको कि जो अन्य २ कोनफरन्सोंमें शामिल हों इनसे सिक्षा लेनेकी सूचना करताहूं. दूसरा यह है कि अबतककी कुल सभावोंमें प्रायः कुल कार्यवाही सिर्फ कागजीही होती रही है क्योंकि शुरूही शुरूमें काम का ढचर बान्धनेके वास्ते इसही तरहपर कागजी कार्यवाही करना पड़ता है परन्तु इस कोनफरन्सने बोर्डिंग हाउसके निमित्त फन्ड कायम करके इस कामको कार्यरूपमें भली प्रकारसे दिखला दिया है. मैं आशा करताहूं कि अपनी कुल समाजका ध्यान इस कामकी तरफ अवश्य जावेगा. अपने तीन दिनकी कार्यवाहीपर नजर डालनेसे मालूम होता है कि कुल २१ ठहराव इस सभामें पेश होकर पास हुवे हैं उनमेंसे पहिला और दूसरा ठहराव मामूली और वाजबी हैं; उनपर मेरे जिदाया विवेचन करनेकी आवश्यक्ता नहीं है. तीसरा ठहराव मुनि श्री बुद्धि सागरजी वगरहको धन्यवाद देनेका है. इस शुभ प्रसंगपर मुनि श्रीबुद्धि सागरजी व पन्यासजी श्रीआणंद सागरजी व मुनिश्री भाईचन्दजी तथा पन्यासी श्रीबीरविजयजीने कृपा करके अपने २ शिष्य मंडळी के साथ पेथापुरको शुसोभित कियाहै इससे कोनफरन्सके काम काजमें पूरी मदद मिलीहै. मुनिश्री बुद्धि सागरजीने अथाग श्रम उठाकर इस प्रान्तिक सभाकी नींव डाली और इस सभाको इक्कठी करनेमें कोशिश की उससे कुल समाजपर बडा भारी उपकार हुवा है. बाकीके मुनिराजोंने इस सभा सम्बधि जो जो अनुकूल कार्यवाही की है उससे कुल जैन समाजको बहुत संतोष उत्पन्न हुवा है. इस तीसरे ठहरावमें पेथापुरमें बीराजे हुवे मुनिराजोका जो उपकार माना गया है इससे जैन संघकी गुरु भक्ति प्रदर्शित होती है. हम आशा करते हैं कि हमारे अन्य मुनि मंडल इसही प्रकार सामाजिक और धार्मीकोन्नत्तीमें कमर बान्धकर कोशिश करते रहेंगे. चोथा ठहराव व्यवहारिक और धार्मिक केलवणीके वाबत है कि जिसकी आवश्यक्तापर अच्छे २ वक्तावोंने भली प्रकार विवेचन कियाहै और इस बातको अच्छी तरह सिद्ध कर दिया है कि अपनी उन्नत्तिका पाया व्यवहारिक और धार्मिक केलवणीपरही कायम हो सकता है. समयानुसार बोर्डिंग हाउसका विषय बीचारते हुवे आप सजनोंने इस प्रस्तावको कार्यरूप करके दिखला दिया है और अपनी हमेशाकी उदार वृत्तिसे करीब २०००, दो हजार रुप्पया एकदम इक्कठा करके बोर्डिंग हाउसके फन्डकी शुरूआत करदी है. अगरचे यह छोटासा फन्ड बोर्डिंग हाउसके वास्ते काफी नहीं हैं. परन्तु आपनें. अपनी शक्तिके मुवाफिक इस फन्डको शुरू करके अन्य महाशयोंकी तबियतको उकसाया है उम्मेद की जाती है कि निकट समयमें यह फन्ड कई गुणा होजावेगा और अहमदाबादमें एक जैन बोर्डंग हाउस जल्दी दृष्टीगोचर होगा. यद्यपि अपनी कोनफरन्सका यह विचार होता रहा है कि अपनी सभावोंमें पैसेका सवाल बिलकुल हाथमें न लियाजावे तोभी. कई विषय ऐसे जुरुरी आ जाते हैं कि जिनके वास्ते. खुशीके साथ अपनी शक्तिके मुवाफिक पैसा देनेमें उत्कंठा होही जाती है.. परन्तु जहां तक मुमकिन हो इस मामले में विचार पूर्वक काम करने का मोका
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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