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जैल कोणफरन्स हरड.
[जून कने केदनी अने केटलांकने जन्मदेशनिकालनी सजा करी अने कलकताना ब्लेक होल जेवा केदखानामां तेमने राखवामां आव्यां अने तेनी देखरेख अगर सार संभाळ लीधी नहीं अने बीजा कोईने पोते गेरव्याजबी रीते बथावी पडेला वारसाने हाथ अडकाडवा पण दीधो नहीं. परिणाम ए थयुं के घणा अमुल्य पुस्तको नाश थयां के जेनी खामी आ जमानामा पुरी पड़ी शकवानी नथी. आपणे आपणी, आपणा माबापनी अने कुटुंबनी छबीओ पडावीए छीए एटलेथी संतोष नहीं पामतां आपणा देशना हितचिंतकोनी अने आवी महान अने प्रोविन्शियल कॉन्फरन्सोनी छबीओ पडावीए छीए अने घरमां सौथी सरसमां सरस एटले के आपणा घेर आवतो दरेक माणस जोई शके तेम लटकावी राखी जाळवीए छोए. कारण एज के तेमना रूप तथा गुणनुं भान कराववा अने तेमनी यादगिरी जाळवी राखवा छतां अफसोस ए थाय छे के आपणां धर्म साचववानां साधनो, के जेथी आपणी, आपणी कोमनी अने आपणा देशनी उन्नती थवानी तेवां पुस्तकरुपी साधनोनो नाश थवा दईए छीए ए घj दिलगिरी भरेलुं छे. आटली बधी दिलगिरी फेलाया छतां कांईक संतोष थवा पाम्यो छे, अने ते ए छे के आपणा मुनी महाराजाओ भंडार उघडाववा प्रयास करे छे अने मुनीमहाराज श्री हंसविजयजी तथा श्री कांतीविजयजीना प्रयासथी पाटणना भंडारनां ताळां उघड्यां छे, अने नामदार गायकवाड सरकार आपणा धर्म उपर एटली आस्ता राखे छे के तेमणे प्रयास लई टीप करावी छे तेमज केटलांक पुस्तकोना भाषांतर करी छपाव्यां छे माटे आपणे तेमनो आ स्थळे उपकार मानवो जोइए अने आपणा प्रमुख साहेब गुलाबचंदजी ढढ्ढा एम० ए० ए जन्म आपेली महान कॉन्फरन्सना प्रती वर्षे मळवाथी जेसलमीरनो भंडार उघड्यो छे, अने ते उघाडवा तेमना भाई मि. लक्ष्मीचंदजी ढढ्ढाए पोताना भाईनी साथे मळीने जे श्रम लीधो छे ते माटे ते बंने भाईओने धन्यवाद घटे छे अने तेमनो समस्त जैन भाईओए आ स्थळे उपकार मानवा भुली जर्बु जोइए नहीं अने जेसलमीरमां पण टीप थई छ ने उद्धार करवानु काम शरु छेज.
खंबातमां बे तड छे अने तेमनी अरसपरस तकरारोथी ते बेमांथी एक पण भंडार उघडवा पाम्या नथी अने तेथी तेने टीपनी वात तो होयज नहीं. ए कांई थोडी दिलगिरीनी · वात नथी. माटे हवे भविष्यमां जे कांई पुस्तको रह्यां छे तेनो नाश थतो अटके तेवी योजनाओ त्वराए करवी जोइए, अने आ काळमां पूर्वे थई गयला महा मुनिराजो, आचार्यो विगेरे मळवाना नथी अने जे खोही बेठा ते तो गया अने फरी मळवाना नथी तेथी खरो धर्म जाणीशुं नहीं. ज्ञान उपगरण माटे उजमणां करी घणा रुपिआ खर्च करीने पुंठीआं, चंदरवा तथा रुमालने कसब, जरी तथा मोतीथी भराववामां आवे छे पण तेमां ज्ञाननी चोपडी तथा ते राखवानी पेटीओ मुकवामां आवे छे ते जेम बने तेम हलकी कीमतनी खरीद करवामां आवे छे माटे उजमणानो जे खरो मूळ हेतु ज्ञान छे ते उपर अवश्य प्रथम ध्यान दरेक जैन भाईए आपq जोईए. एक सार्वजनिक लायब्रेरी करी प्राचीन पुस्तकोनो संग्रह करवो अने आपणामां उपदेशको नथी ते तैयार करवा ए आपणी प्रथम फरज छे अने उपदेशको तैयार कर्या पछी तेमने पुरतां साधनो करी आपी देशो देश जैन धर्मनी उन्नत्ती माटे मोकलवा जोईए. पण ते काम पुरेपुरं पार पाडवाने आपणां प्राचीन पुस्तकोनो संग्रह करवानी जरूर छे. ते पुस्तकोपर आपणा धर्मनी तेमज आपणी उन्नतीनो आधार छे, अने ते माटे एक अगर बे सवड प्रमाणे सार्वजनिक अने मफत लायब्रेरीओ एटले पुस्तकशाळाओ स्थापवी जोईए. युरोप अने अमेरिका वीगेरे स्थळे तेवी पाठशाळाओ छे. लंडनमां ब्रिटीश म्युझीअम ए आखी दुनियामां बीजा नंबरनी लायब्रेरी छे अने तेमां जुदी जुदी