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१९०५] पेचापुर कोन्फरन्स..
१८७ वृद्धी थाय छे एना सविस्तर आंकडा आपवा बेसुं तो आजनो विषय वधी जाय .अने मारे बीजु बोलवायूँ छे ते रही जाय; तोपण मारे कहेवू जोईए के आ दश वरसनी खानेसुमारीना आंकडा जोतां घणो मोटो भाग विधवाओ होवानुं जणाय छे. आ उपरथी सहज जणाशे के बाळलमनो प्रचार ते वखतथी मांडीने आज सुधी चालु रह्यो छे ए घणुं खेदजनक छे. आपणा आर्यावर्तना प्रत्येक प्रांत तरफ दृष्टी करीए तो ठेकाणे ठेकाणे आपणा देशीओनी वृद्ध आकृती, फीका चहेरा, नीस्तेज दुर्बळ शरीर, उंडी बेशी गयेली नाजुक आंखो अने क्षय आदीक अनेक रोगो जोवामां आवे छे. आ भयंकर सडो आ भारत भुमीमांथी नीकळवा पामशे नहीं त्यांसुधी आ हिंदनी प्रजा कदी पण सुखी थशे नहीं एटला माटे सौने मारी प्रार्थना छे के आ महा रोगने मारी काढवा पुरुषार्थ करवो ए दरेक माणसनुं कर्तव्य छे एटलं बोली बेसवानी रजा मांगु छु..
मि. मनसुखराम मुळचंदनुं भाषण. जे स्त्रीओ पोतानी नाकनी दांडी पण बीजाओने बतावती नथी तेओ रस्तानी वचे उघाडी छातीए कुटे ते केवु शोकजनक छे ! रांडनारी एक अने रडावनारीओ हजार होय छे अने तेओ एक बीजाने उश्केरणी करीने एवी रीते रडवानी फरज पाडे छे के रडनारी कुटनारी स्त्री घणी वखत बेभान थईने नीचे पडी जाय छे अने मरण पामे छे. दरेक माणसने मरवानें तो छेज. जे जुवान पुत्रने आखी जिंदगीना सुखनुं साधन मान्युं होय तेने पोतानेज बाळीने राख करीने पाछा आव्या पछी अतिशय रडवाथी शुं वळवानुं छे ! तेम करवाथी कांईपण लाभ थवाने बदले हानी थाय छे, माटे दरेक बाईओने मारी नम्र अरज छे के तेमणे रडवा कुटवानो रीवाज छोडी देवो. कोई स्त्रीना सांभळतां जो कोईनाथी कांई अपशब्द बोलाई गयो होय तो ते स्त्री पोते कचवाय छे एटलुज नहीं पण ते वखते हाजर रहेला बीजा पुरुषो पण पोतानी लागणी दुखायली समजे छे. परंतु लग्न वखते स्त्रीओ पोते कांई पण मर्यादा राखवा वगर पोतानां सगां वहालाओ तथा बीजा अन्य पुरुषोनी हाजरीमां गमे तेवा नहीं पसंद करवा जोग शब्दनो उच्चार करे छे ते शुं ओर्छ नीचुं जोवडावनारुं छे ? हाजर रहेली बानुओने मारी अरज छे के तेओ पोताने त्यां लग्न अवसर आवतां फटाणा गावानो रीवाज बंध करशे.
मि. केशवलाल अमथाशानुं भाषण. अन्य धर्मनी विधी मुजब लग्न करवानो जे रीवाज हालमां प्रचलीत छे ते घणो खेदजनक छे. ब्राह्मणो हालमा जे रीते लग्न करावे छे तेमां तेओ गमे तेवा ओटा गोटा वाळी दे छे अने ते वखते वर कन्या केवी केवी जातनां पवीत्र वचनोथी बंधाय छे तेनो तेओने कांई ख्याल पण होतो नथी. जो आपणे जैन विधी मुजब लग्न कराववानी हठ पकडीशुं तो ब्राह्मणो आपोआप जैन विधी शीखशे अने कदाच तेओ तेम पण नहीं करे तो पछी आपणा जैन भाईओने ते माटे तैयार कराववा घटे छे.
बाद मत लेवामां आवतां ते ठराव सर्वानुमते पसार थयलो जाहेर करवामां आव्यो हतो. ठराव सातमो. आपसनी तकरारोनो पंचथी नीकाल करवा बाबत.
" जैन बंधुओमां व्यवहार योगे आपस आपसमां कांई तकरार टंटो थाय तो ते माटे सरकार दर.