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________________ १९०५] पेयापुर कोन्फरन्स.. प्रती दीन उतरती जाय छे एम जाणवा छतां तेनो इलाज करवामां आवतो नथी ए बनाव तद्दनः बेहुंदो छे. मि. डाह्याभाई हकमचंदनुं भाषण. कन्याविक्रयनो रीवाज गुजरातना घणा भागमां बीजा करतां हालमां वधारे प्रमाणमां चालतो होवाथी ते बाबत उपर खास वधारे ध्यान आपवाथी प्रमुख साहेबे तेवा वीषय उपर बोलवा, मने फरमावेलु होवाथी ते विषय उपर बोलवा रजा लडं छु. कन्याविक्रय ए संस्कृत भाषानो बोल छे अने " विक्रय " ए बोल “क्री” धातु उपरथी नीकळेलो छे. एटले के कन्याना बदलामां कांई पण अवेज लेवो तेवो अर्थ कन्याविक्रयनो थाय छे. केटलेक ठेकाणे साटां, खडां, चोखडां अने वेलथी कन्याओनां लग्न करवामां आवे छे. बे मागसो पोतानी कन्याओं अरसपरस आपीने लग्न करे तेने " साटां" कहेवाय छे. त्रण शखसो पोतानी कन्याओ तथा छोकराओनां अरसपरस लगन करे तेने खडं कहेवाय छे. तेज रीते केटलीक वखते चार शखसो एक एकनी कन्या अने छोकराओने एक बीजा साथे गोठवी आपे तेने चोख९ कहेवाय छे. वळी केटलीक वखत दश या पंदर माणसो मळी अंदर अंदर एवी गोठवण करे के एक गृहस्थ पोतानी कन्या बीजाना छोकरावेरे आपे अने तेना बदलामां कोई त्रीजाज गहस्थनी कन्या पोताना छोकरा माटे मेळवे पण ते एवी शरते के ते त्रीजा गृहस्थना छोकराने पण तेओमांनो एक गृहस्थ वगर पैसे कन्या आपे. आवी जातनी गोठवणोने " वेल" कहेवामां आवे छे. जेओने मात्र कन्या होय तेओ तेमना बदलामां रुपिया ले छे पण ज्यारे छोकरो छोकरी साथे होय त्यारे कन्याना बदलामां रुपिया नहीं लेतां सारी कन्या मेळवे छे. तेओ पोताने कन्याविक्रयना टोळाथी मुक्त माने छ पण हुं तो धारूं छु के तेओनो दोष कोई पण रीते ओछो थतो नथी, कारणके तेओ पण पोतानी कन्याना बदलामां रोकड नाणुं नहीं पण बीजी कन्याना रूपमा पुरतो अवेज मेळवे छे. कन्याओने योग्य स्थळे, योग्य कुटुंबोमां अने योग्य वरनी साथे परणाववानी तेमना वाली ओनी फरज छ एम आपणा शास्त्रोमां खुली रीते जणाववामां आव्युं छे. परंतु उपर जणाव्या मुजबना कन्याविक्रय करनाराओमां ते समजनी गेरहाजरी जोवामां आवे छे. केटलाको तो लीलांउमां मुकेली एक चीजनी माफक वधारे दाम आपनारा माणसनेज पोतानी कन्या आपे छे, पछी ते माणस लुलो, लंगडो, बहेरो, आंधळो वृद्ध अथवा गमे तेवो खामीवाळो होय तेनी तेओ काई पण दरकार करताज नथी. आवां माबापोने मावापनी उपमा आपवाने बदले माबाप रूपे निर्दय शत्रुओनी उपमा आपवी जोईए अने तेमने माटे जेटलो धिक्कार बतावीए तेटलो ओछो छे. कन्याना माबापो सामावाळाने बनी शके तेटलो वधारे नीचोववामां पोतानी बहादुरी माने छे अने. ते पछी पोतार्नु फरजंद थोडा वखतमां कंगाल हालतमां आवी पडे या दळणां दळीने पेट भरवानी स्थितीमा आवी पडे तोपण तेनी दरकार करता नथी. जे कन्याओने फक्त पैसाने खातरज वृद्धो जोडे परणाववामां आवे छे तेओ लग्न पछी थोडा वखतमांज दुखी हालतमां आवी पडे छे अने आखी जिंदगी तेवीज हालतमा पुरी करे छे. जीवदया प्रतिपाळ होवानो दावो करनारी आपणी कोमना जे गृहस्थो आवां कसाइओना जेवां काम करे छे, तेओने तेवां कामो करता अटकाववा माटे, दाखलो बेसाडवा माटे न्यातोना आगेवानोए केटलाकोने घटती सजा करवी जोइए. रांक कन्याओने पोतानां मूर्ख अने लोभी माबापोना भोग थइ पडता अटकाववा माटे न्यातोना आगेवानो जो कांइपण करशे
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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