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________________ जैन कोल्फरन्स हरेल्ड. [जून तोतेओ सेंकडो गरीब कन्याओनो आशीर्वाद मेळवी शकशे. केटलाको एवी जातनी दलील करे छे के अमारा छोकराओने कोइ कन्याओ आपतुं नहीं होवाने लीधे जो कन्याना बदलामां नाणां नहीं लईए तो पछी छोकराने परणाववो क्याथी ? तेओने हुं मात्र एटलोज जवाब आपशि के छोकराने खातर छोकरीनो स्वार्थ बगाडवामां शुं एक पीता व्याजबी छे के ? वळी छोकराओने जमानाने अनुसरती केळवणी आपी ते दुनीयामा उपयोगी थई पडे तेवी रीते तैयार करवामां आवशे तो तेने कन्या मळवामां कांइ पण मुशकेली पडे तेम हुं मानतो नथी. वळी स्त्री केळवणी फेलाववाथी पण आवां अघोर कर्मो आपोआप बंध पडशे. केळवायली माताओ पोतानी वहाली पुत्रीओने कुवामां कदी पण नाखवा देशेज नहीं एवी मने खात्री छे. लाला चिरंजीलालन भाषण. एवो कोण कमअक्कल छे के जे पोतानां प्यारां संतानने कुवामां फेंकी देइ तेनी साथे एवो विरोध करे? पण मात्र एकज चीज एवी छे के जेने माटे एवं काम पण थाय छे. ते चीज पैसो छे. मुझफराबादना स्टेशन उपर में एक डोसाने नानी वयनी बाळकी साथे जोयो अने में तेने पुछयु के आ तमारी पुत्री छ के ? पेलो डोसो मारा उपर गुस्से थयो. पण में तो तेने के के अरे बेवकुफ, . तूं तो बे मास पछी कबरमां चाली जईश अने आ बिचारी शुं करशे ? ज्यारे एक कन्या- वेविशाल करवामां आवे छे त्यारे तेणीने कदी पण आशा होतीज नथी के जे साहेलीओ आजे आनंद करे छे तेओज थोडा मास पछी तेणीनी चुडी तोडवानी छे. जैनोमां एवा हजारो लोको छे के जेओ पोतानी पुत्रीना घर- पाणी पण पीता नथी तेमां पण केटलाक पापीओ एवा छे के जेओ पोतानी प्यारी पुत्रीओने वेचीने आखी कोमने लांछन लगाडे छे. जे माबापोए पोतानी कन्याने वेची छे तेओए सुखनी आशा तो कदी पण राखवीज नहीं. पण नर्कना द्वारमा जवा माटे तैयार रहेवू जोईए. पोताना भाषण दरमीयान लाला चिरंजीलाले वृद्धविवाहना संबंधमां नीचेनी कविता साई हती:-' मेरा हरीयाला बना, तेरी सूरत पर खूरबान, गाल बने सुखी नारंगी, मुखमें एक न दांत, कमर कुबडी चलने न देवे, सर के उजले बाल, वाह वाह २ कह करलो तिलक, डिगमिग करती चाल, नाक बहै और लाल टपकती, पिचक गये दोनों गाल, नई दुलहन सुखकी अभिलाषी, सर पर नाचत काल. मि० छोटालाल मनसुखनुं भाषण. मि. छोटालाल मनसुख रायचंद नामना विजापुरथी आवेला एक नहाना विद्यार्थीए अत्रे प्रमुख पासे बाळलग्नना संबंधमां थोडा बोलो बोलवानी रजा मांगी हती. तेणे पोतानुं भाषण घणी छटादार रीते वांची संभळाव्यु हतुं अने श्रोताजनोए तेने ताळीओना अवाजोथी वधावी लीधो हतो. पोताना भाषण दरम्यान तेणे जणाव्युं हतुं के:
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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