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________________ १४० जैन कोम्फरन्स हरैल्ड. [ में - आवी रीतना प्रमुखना गुण जोइए अने तेवा गुणोयुक्त प्रमुखने लायक आपणामां गण्यागांठा माणसो छे तो पण मने आ प्रसंगे कहेवाने खुशी उपजे छे के आपणा अमदावादना शेठीआओ तेमां मोटो भाग धरावे छे अने तेनो ताजो दाखलो आपणा. अमदावादना नगरशेठ चिमनभाई लालभाईए थोडा दिवसपर आमलनेरमां भरायेली कॉन्फरन्सनुं प्रमुखपणु स्वीकारी जे फतेह मेळवी छे ते कही आपे छे, तेमज शेठ लालभाई पण पोतानी लायकात आपणने घणी रीते बतावी चूक्या छे, तेमज अमारा शेठ मनसुखभाई भगुभाई तथा तेमना भाई शेठ जमनाभाई जे अत्रे पधारेला छे तेओ हमेशां जैनोने मदद सारी आपे छे अने आशा छे के तेज प्रमाणे बीजा शेठीया अने विद्वानो हिंमत करी बहार पडशे. मारा मुळ विषयपर आवतां उपर बतावेलां गुणयुक्त प्रमुख थवाने मि. गुलाबचंदजी ढढा बधी रीते लायक छे एम अमे मानीए छीए अने तेथी हुँ मि. गुलाबचंदजी ढढाने आ प्रांतिक कॉन्फरन्सना प्रमुख निमवाने दरखास्त करुं छु. आप साहेबो तेमना पोताना केटलाक गुणोथी सारी रीते वाकेफ छो एटले ते संबंधी जो के वधारे कहेवानी जरुर रहेती नथी तो पण वधु ओळखने माटे मारे कहेवू जोइए के तेओ एक तवंगर उमदा कुटुंबना नबीरा छे. तेमना वडील तीलोकशाजीसंगजी हता तेओ करोडाधीपती हता अने तेमना वडीले आपणा जैन मंदिर बनाववामां तेमज यात्रा करवामां मोटी रकमो खरचेली छे अने अजमेरवाळा रायबहादुर शोभागचंदजी तेमना नजीकना पीत्राई थाय छे. मि. गुलाबचंदजीना पिता सागरचंदजी एवा मातबर हता के तेओ प्रथमनी ओरत परण्या ते वखते बने बाजुवाळाए लग्नमां सुमारे ४ लाख रुपीआ खा हता अने ते ओरत गजरी गया पछी तेओ किसनगढना मोटा आबरुदार जागीरदारनी पुत्री जेमनु नाम बाई राजकुंवर छे तेमनी साथे लग्न कर्या हतां अने तेमणे नानपणथीज धर्मसंबंधी सारुं ज्ञान आपवामां आव्युं हतुं अने तेज बाईसाहेब मि. ढढाना मातुश्री छे. तेओनी धर्म उपर घणी सारी श्रद्धा छे अने पोते भणेलां छे अने तेवी स्त्री केळवणीथी केQ सारं परिणाम आवे छे ते तेमना दीकरा आपणी कॉन्फरन्सना प्रमुख मि. ढढानी धर्म उपरनी श्रद्धाथी जणाई आवे छे. मि. ढढा पोते इंग्रेजीनी ऊंची परीक्षा जे एम. ए. नी छे ते ऊंचा नंबरे पास थया छे अने जो के तेओनुं इंग्रेजी ज्ञान ऊंचा प्रकारचें छे तेना साथे धर्मपर पूर्ण श्रद्धा छे तेथी आपणा ग्रेज्युएटोपर धर्मनी श्रद्धा होती नथी एवो जे आक्षेप करवामां आवे छे ते तेंओ साहेबना वृतांतथी केवो खोटो छे ते जणाई आवे छे. वळी तेओ साहेब जेपुर स्टेटना डिस्ट्रिक्ट माजिस्ट्रेट अने रेवन्यु कमिशनरना मानवंता ओद्धापर हाल बिराजे छे. आपणामां जे कांई कॉन्फरन्स भरवानी जागति थई छे ते तेओ साहेबनी मेहेनतनुं फळ छे. केमके तेओए घणी मेहेनत लीधाथी आपणी जैन कॉन्फरन्स हस्तीमां आवी छे अने तेओने “कॉन्फरन्सना पिताग्नुं जे नाम आपवामां आवे छे ते तमाम रीते व्याजबी छे.. . तेओ साहेब आपणी जैन कोमनी उन्नती माटे तन,मन अने धनथी सतत प्रयास करता रह्या छे अने आपणा जैन बंधुओने उंची स्थिति उपर चढता जोवा ते हमेशां घणा आतुर छे एटलुंज नहीं पण तेने माटे तेओ पोताना अमुल्य वखतनो घणो भोग आपे छे.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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