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________________ १३८ जैब-कॉन्फरन्स हरैल्ड. [ मे निराधार स्थितिमां अथडाता पण हशे आवा आपणा बंधुओने जोहती मदद आपवी ए आपणी जैन तरीकेनी आइन फरज़ छे केमके आपणे तो जिव दया धर्मने पुजनारा छइए जेथी कीट जेवा जंतुओने पण बहु काळजीथी बचावाय तो बचावी लेवा बंधाएला छीए, तो पछी आपणा सहधार्मिक जैन बंधुने तो गमे ते जोखमे मदद आपवाने पछात पडवुं ए तो आपणा पवित्र धर्मथी पतित थवा बराबर गणी शकाय . मुसलमान कोमनो दाखलो मोजुद छे. आपणा करतां साधारण रीते अज्ञान गणाती मुसलमान कोमनो दाखलो आपणी नजर आगळ तरे छे. ए कोम मिस्कीन कोम तरीके जाहेर छे छतां पण अलीगढ़ कॉलेज जेवी नमुनेदार कॉलेज स्थापी छे, वळी पोतानी कोमनां अनाथ बाळको माटे यतीमखाना पण उघाडवा शक्तिमान थई छे अने दरवर्षे केळवणीनो सवाल चर्चवा कॉन्फरन्सो मेळवे छे, अने पोताना दिनदार मुसलमान भाई ओनी स्थिति सुधारवा आगेवानो महेनत ले छे तेने आखी कोम जिगरथी यथाशक्ति मदद आपे छे अने केळवणीनो फेलाव करवा छुटी स्कोलरशिपो स्थापि ते नभाववा रुपीस्कीम अमलमां मूकी छे. मुसलमान जेवी पैसे टके ओछी गणाती कोम जमानाने वरती गई छे छतां आपणे के जे पैसे टके जरा ठीक गणाइए छी ते पछात पडीए तो आपणे आपणा धर्मनुं रहस्य समजी शकता नथी एम कही शकाय परंतु सुभाग्ये आपणे आपणा आगेवानोनी दुरंदेश नजरथी वखतसर जाग्या छीए अने जाग्या पछी पण आवी कॉन्फरन्सो मेळवी बीजा बंधुओने जगाडवानो यत्न करीए छीए एज आ कॉन्फरन्सनो खास हेतु छे. हिंदना चारे खुणे नजर फेंकतां जणाय छे के शीख, कायस्थ, मेश्री तथा अगरवाल वणीक, बंगाळी बाबुओ, मराठा तथा दक्षणी ब्राह्मणो अने गुजरातनी घणी खरी जातो तेमज पारसी अने मुसलमान कोम पण जागी छे ने जाग्या त्यांथी सहवार गणीने पोत पोतानी कोमनी स्थिति सुधारवा मंडी पडी छे. आपणे पण अंते जाग्या छीए अने आज चार वर्षथी परिश्रम करवा मंड्या छीए. जनरल कॉन्फरन्स ठरावो करे छे तेने अमलमां मूकवा ठामोठाम मुनिमहाराजो उपदेशो आपता करे छे अने ए मा अमुक विभागना जैन समुदायमां ए ठरावो अमलमां मूकाय तेनी व्यवस्था करवा आवी कॉन्फरन्सो मळे छे, अने तेने आप पधारीने आपनी अनुमति आपो छो एज कही आपे छे के आवी कॉन्फरन्सोनी खास जरुर छे. आ कॉन्फरन्सी थवाना लाभो. आ तरफ गामडांओना घणा लोको जो के बहार देशावरना वेपारी छे तो पण मोटो भाग एवं छे के जेओ मुंबाई, वडोदरा विगेरेनी कॉन्फरन्समां भाग लेई शक्यो नहीं होय तेवाओने माटे अ कॉन्फरन्स खास जरुरनी छे; वळी आवा मेळावडाथी भातृभावमां वधारो थई अरसपरसनी मददनी किंमत आंकी शकशे अने जैन समुदायनुं हित तेज आपणुं हित छे एवो विचार द्रढ करतां पण शीखशे. आ कांई जेवो तेवो लाभ नथी. आ कॉन्फरन्सने मदद आपनारनो उपकार. जे जे जैन बंधुओए आ मेळावड़ाने फतेहमंद उतारवा तन मन धनथी मदद आपीछे ते सक कानो उपकार मानतां मने आनंद थाय छे केमके आपना जेवा गृहस्थो दुर पल्लेथी पधारी तेमां सा
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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