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________________ . जैन कोनफरन्स हरैल्ड. [ एप्रिल छे. भ्रातभाव न होवाथी आपणां राजाओनी सत्तानो नाश थयो अने, आपणामांनाज लोकोए पारकाओनी लांच खाई तेओने हाथ आपणो आखो देश सोंप्यो. राजकीय सत्ता जवाथी विद्या, हुन्नरने जोईतो टेको मळ्यो नहीं, अने विद्या हुन्नर डुबी जवाथी आपणि सांपत्तिक स्थिति बगडी, सांपत्तिक स्थिति बगवाथी धर्म तरफ लोकोनुं ध्यान वधारे न रह्यं अने धर्म शिक्षणना अभावे आपणी सामाजिक स्थिति बगडी अने तेथी आपणे बधी रीते पछातमां पडी गया. ग्रहस्थो, फक्त आपणामां संप न होवाथी आवि नबळी स्थितिने आपणे पोहोंच्या. एथा तदन विरुद्ध स्थितिनुं राज्य के ज्यां भ्रातभाव लोकोना'नसोनस वशी रह्यो छे ते । देशनी स्थिति जुवो. ए देश आजे आखी दुनियानुं ध्यान खेंची रह्यो छे. एशीयाखंडमां तो छू पण आखा युरोपखंडमां पण जे राज्य माटे पूर्ण भीति राखवामां आवती हती, तेवा मोटा रशीयन राज्य साथे बाथ भीडी आजे तेना ऊपर पूर्ण जय-एक पूर्ण उमरना मोटा सिंह ऊपर जेम सिंहनु नानुं पण खरेखरी शक्ति धरावनारूं बच्यु मेळवे तेवो मोटो जय मेळव्यो छे. ते जपाननो एक दाखलो आपवो हुँ युक्त धारूंछु, ते ऊपरथी आपणने मालम पडशे के आवडो मोटो जय एणे खरेखरा भातृभावथी उपजतो शौर्यना लीधे भेळव्यो छे. अने ए जपाने संपनी खरेखरी कीमत जाणी छे. पोर्ट ऑर्थर लिधा पछी त्यां जपाननो वावटो चढावा जनारा पेहला जपानीस शीपाईने रशीयनोए मायो पंण पेहला शीपाईना हाथमांनो वावटो जराए नमतो नथी एटलामांतो बीजो शीपाई आव्यो तेणे पण रशीएनोए मायो. तरतज त्रीजो शीपाई आव्यो तेने मायो, चोथो, पांचमो, छठो, सातमो, आववा लाग्या पण जपाननो वावटो जरी के नम्यो नहीं त्यारे रशीयनोए जाण्यु के ए लोकोमा संप बहु वधार छे. ए मरवाने जरीके डरता नथी. बधाए मरी जशे पण वावटो चढावशे एम जाणी वावटो चढावा दीधो. गृहस्थो, जुवो ए लोकोनो संप अने जुवो ए लोकोतुं देशाभिमान! जेणे देशद्रोही थई पारकाओनी लांच खाई जपानना हितविरुद्ध आचरण करी देशनुं नुकसान कर्यु होय एवो एक पण जपानीस हजी निकब्ब्यो नथी अने आपणे आशा राखीशू के निकळशे पण नहीं. एम संप होय तो मोटमोटां कार्य कराय छे कारण के तेवां मोटां काम करवाने शक्ति संपथीज आवे छे. एक बे माणसनी शक्ति आवां मोटां कार्यों करी शकती नथी. दाखला तरीके जुवो के रूना तार ज्यारे छुटा होय छे त्यारे तदन नबळा होयछे. पण ज्यारे एमनुं सुतर थई जाडां दोरडां वणायछे. त्यारे तेओमा हजारो मण बोजो उचकवा जेटली शक्ति आवे छे. तेवीज रीते लाकडीओनो भारो जुवो. आखो भारो लई तेना बे ककडा करवा जशो तो कोई पण दिवसे थशे नहीं पण एज भारो जो छुटो करी नांख्यो तो एक एक लाकडी भागी नाखवाने जरीके वखत लागशे नहीं अने आखो भारो पळमां भागी जशे. माटे गृहस्थो, आपणामांथी कुसंपनो मुळथी नाश थवो जोईए. आपणामां केटलेक ठेकाणे तड होयछे. ते पण आ कुसंपना लीधेज भागवां जोईए. केटलेक ठेकाणे आभिमान अने ममत्वना लीधे जेओ लोकोमा एवां तड होयछे ते पोते भागी शकता नथी तेवी स्थितिमां आ ठरावमां जणाववा मुजब " जैन ऐक्यवर्धक सभा " काढी तेनी मददथी एवां तड भागवां जोइए. आटलुं बोली हुं आ ठरावने टेको आपी आपनी रजा लऊंछं.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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