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जैन कोनफरन्स हरैल्ड.
[ एप्रिल
आपणे एकमेक माटे बंधुप्रेम वधार्या वगर खरूं देश प्रेम उत्पन्न थई शकशे नहीं. आपणे बधा एकज भूमाताना छोकरा छीए ए विचार मन उपर बिंबित थवा माटे खरी देशोन्नति शुं करवाथी थाय छे ते पूर्णपणे जाणवू जोईए. ते जाण्या पछी ते रस्ते आपणे प्रयत्न करवा जोईए; ते प्रयत्नोमांनो एक प्रयत्न आपणी आजनी बेठक छ एने कायमर्नु उत्तम स्वरूप आफ्वा माटेनी जवाबदारी आपणा बधा उपर छे ते जवाबदारी जाणी आपणे बधाए वर्तवू एज परस्पर माटे खरेखरो प्रेम बताववो ते छे. ते वगर, खरेखरा बंधु प्रेम वगर, परस्परना ऐक्य वगर आवी बेठकोनो काई पण उपयोग थतो नथी. ते प्रेम खास आपणा बधामा जागत छे. तेनी वृद्धि करवा माटेज आपणे बधा भेगा थया छीए. ते वृद्धिंगत थशे त्यारेज आपणांमां ऐक्य वधशे; ऐक्य वधशे त्यारेज आपणी उन्नति, आपणा बंधुओनी उन्नती थशे अने उन्नती थशे तोज आपणे बधा सुखना दिवस जोइशुं.
पंडीत लालन- भाषण.
लालनने झाड थड जड्युं. परंतु मुळ शाखा, मुळ थड, डांखळीओ, फूलफळ शुं छे तेनो विचार करवा लाग्यो त्यारे खबर पडी. आ बघामां चित्रविचित्रता केटली बधी लागे छ ? जैनरूपी वृक्षनां थड शुं छे ? ते विचित्र देखाय छे. केटलाक फळy काम करे छे तेथी सामान्य दृष्टीवाळाने जुदु जुदुं देखाय छे—विरोधता देखाय छे. झाडमां जेम डाळीओ छे तेम जैन वृक्षमां गच्छो छे. परंतु थड-मुळ एकज छे. जेओ समजे छे ते माने छे के तेओ एकज झाडनां फळ छे. जो ऐक्यता जोई न शकता हो तो एक झाडना फळ फूलनो विचार करो. वस्तु एकज छे. झाडना मुळीआंथी ते रस सुधी विचार करो, सर्व एकज मालम पडशे. कर्जा छे के “ सर्व जीव करुं शासन रसी." क्या डाळामां ते रस नथी पोंच्यो ? आपणे सघळा बांधवो छीए. आपसआपसमां कदापी वढवाढ होय ते छतां पण संघD नाम लेवातां एकठा थाओ छो. जिन भगवान, दर्शन देखाडे छे के ऐक्यता छे. संपमा कुसंप जोइए नहीं. वीर भगवान सर्व उपर दया राखे छे. प्रीतिभाव एवो जोइए के कटोरमां पण लागे नहीं. धर्मनुं मुख्य स्थान हृदय जो एकत्र छे तो आपणे पण एक ज छीए.
गरीब झुपडां, पर्णकुटी, कोटेज, घर, बंगला मेहेल होय छे तेम राजानो महेल, चक्रवर्ती महेल होय छे. इंद्र, महेंद्र जेने वंदन करे छे तेवा वीर भगवानना आपणे सगा पुत्रो-राजपुत्रो-छीए. जैन दया रुपी धनथी आपणे धनवान-धर्मवान-छीए. दयानुं लोही जेनामां स्फूरी रह्यं छे तेना आपणे सगा पुत्रो छोए. आपणे सघळा एकज छीए. कदाचित् टोळीमां कजिओ करीए तो भूली जq जोइए. आपणे सघळाए संपथो रहे जोइए. धार्मिक बांधवो श्रेष्ठ छे. हमणांना भणेला एम माने छे के आपणे वीस लाख कांकरा सरखा छीए. जापाननी नानी वस्ती, देशभक्ती अने देशप्रीति विशेष होईने रशिया जेवा रीछने हठावे छे. देखाती जैन पण खरी दया स्वरूप जैन कोम एकत्रताथी हिंसारूपी रशियाने हठावी शके. बंधुत्वमा जोडाया पछी तिर्थकरने मोटा मान्या परंतु तेज तिर्थकरे श्रीसंघने मोहोटो मान्यो छे. आ एकत्रताथी श्रीसंघ तिर्थकर सरखाने पण वंदनीय थयो छे. कारण के तेमां गुण अधिक छ अने ते जगतनो व्यवहार छे. घरमां लडाई करीए तो केवं लागे? जो तमे सुपुत्रो हो तो संपथी रहो अने पवित्र दया धर्मनो दुनियामां प्रचार करो.
आपणे ऐक्यता मेळववी अने तेथीज भ्रातृभाव वधी शकशे. एक पिताना प्रपुत्रो होय तो वीस हजार थई जाय. संप शुं ? तेनी व्याख्या नथी. आपणा संघमां संपूर्ण प्रीति छे. जो ऐक्यबळथी