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जैन कोनफरन्स हरैल्ड.
[एप्रिल जाळने तोडी नाखी छे अने जेओ परोपकारमांज पोतानुं जन्म साफल्य समजे छ तेमना पधारवाथीज आपणुं कल्याण छ माटे (१) गीतार्थ मुनी महाराजाओने आपणा देशमां वीहार करवानी प्रार्थना करवी; (२) धर्मना सख्त नीयमोने बाध नहीं आवे एवी रीते तेमना वीहार याटे व्यवस्था करवी; (३) ज्या ज्यां उपाश्रयो, धर्मशाळाओ नहीं होय त्यां बंधाववी;
(४) धर्मसंबंधी अज्ञान प्रदेशमा तेमने वारंवार वीहार करवा प्रार्थना करवी; (५) ज्यां ज्यां मुनिविहार अगवड भर्यो होय त्यां उपदेशको मोकलवा;
(६) अल्प समजने लीधे ज्यां देरासरो नहीं होय त्यां दर्शननी कोईपण रीते जोगवाई करवी इत्यादि धर्मोन्नतीना प्रयत्न हमेश जारी राखवानी आ सभा खास आवश्यकता जुवे छे अने गीतार्थ मुनी राजोने आ प्रदेशमां खास प्रवास करवा नमृता पुर्वक विनवे छे."
आ दरखास्तने मी. बालचंद हीराचंदे टेको आप्यो हतो अने पंडित लालने अनुमोदन आप्या बाद ते सर्वानुमते पसार थयली जाहेर करवामां आवी हती.
मी. दामोदर बापुशानुं भाषण. सिंदुर प्रकरणमां सोम आचार्ये कीधुं छे के, जे कोई धर्मनी उन्नती माटे प्रयास करतो नथी ते रत्न नाखी देवानुं काम करे छे. आ उपदेश सत्य छे अने जे आवश्यकता छे ते उपदेशकोनी छे. दक्षिण देश केटलेक स्थळे अनार्य कहेवाय केमके जैन धर्मनी जाहोजलाली हाल नथी, पण मारे कहेवू जोइए के प्राचीन वखतमां जाहोजलाली हती. जाणीता भद्रबाहु स्वामीनी आ दक्षीण देशना प्रतीष्टानपुरमा उत्पत्ती थयेली छे. वराहमीराचार्य पण त्यांज थया हता. सीद्धसेन दीवाकर वीक्रम रोजाना वखतमां थई गया तेओ पण प्रतीष्टानपुरमा वीचर्या हता.व्रजबाहुस्वामीए तेमज काळीकाचार्ये पण आदेशमा वीहार करेलो छे. आ दंतकथा नथी पण पुस्तकोना दाखला छे. प्रत्यक्ष पुरावो पंढरपुरमां विठ्ठलनाथनी मुर्ति जैननी छे. युधीष्टीर संवत १७२५ ना आषाड शुद अग्यारसे जे प्रतीष्टा नेमीनाथजीनी थई हती तेज ते प्रतीमा छे. हींदु विद्वानो तेमज अन्नासाहेब विंचुरकरने पण कबुल करवू पडयुं हतुं. इलोरानी गुफामां जैन प्राचीनतानो भागछे. आ उपरथी जणाय छे के आवी जाहोजलाली वखते आ देशमा लाखो घर जैनोनां होवां जोईए. हालना प्रकाशीत अंग्रेजी अमलमां मुनाराजो अत्रे फरीने उपकार करशे तो घणा लाभ थशे. संप्रती महाराजाना वखतमां साधुओने अनाय देशमां पण मोकलवामां आव्या हता. लाडवा खवराव्याथी धर्मनुं बीज रोपातुं नी पण सम्कांतनुं खरं बीज सिंचन करवू जोइए. खिस्तिओनी माफक आपणने खर्च
थी, कारण के जैन साधुओ पैसाना रागा नथी. तेओ त्यागी छे. आ देशमां मर्दुम मि० सखाराम दुलभदासे आगेवानी करीने धर्मनी उन्नति करवा जे प्रयास करेलो छ तेने मोटा पाया उपर मुकवानी जरूर 1. मुनिमहाराजो गुजरात काठियावाडमा फर छ तेज रीते आ तरफ फरे तेवा साधनो थवाथी धर्मनी उन्नति थशे अने दक्षिण देश लेखामा आवशे. .