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________________ १९०५] आमलनेर कोन्फरन्स. १११ मि. बालचंद हिराचंदन भाषण. आ विषयमां घणो इतिहास मुकायलो छे एटले पिष्टपेषण करवानी जरुर हुँ जोतो नथी. धर्मान्नति करवानो प्रसंग क्यारे आवे छे के अवनती थई गई होय त्यारे अने तेथीज हवे सुधारो करवानी जरुर पडे छे. दक्षिणी कोममां केटलाक बांधवो एवा छे के तेओने जुदा धर्मना बांधवो कहेवामां हरकत नथी. घणा गामोमां होमो, कढंगा रिवाजो जे जैन धर्मनी विरुद्ध छे ते प्रचलित छे. आनुं कारण धर्म उपदेशकोनी गेरहाजरी छे. धर्म, अर्थ, काम अने मोक्षमां धर्मने प्रथम पदवी आपवामां आवी छे. दरेक कोमनी उन्नति धर्मथो थयेली छे. माटे धर्मप्रचार जागृत रहे एवां साधनो मेळववां हमेश प्रयत्न . करवो जोइए. तेना साधनभूत मुनिमहाराजो छे. __ आ देशमां मुनीराजोना वीहारथी जागृती ययेली छे. माटे बांधवो, साधु उपदेशथी केटलु बर्षा काम थाय छे ते जाणी शको छो. ___ श्रीमहावीर स्वामी जे वखते उपदेश करता हता तेवी असर हाल थती नथी, कारण के उपदेशकोनी योग्यता उपर सघळो आधार छे. मारा करतां मुनिमहाराजो उपदेश करे तो केवी छाप पडे ? जेओए क्रोध, मान, माया, लोभ छोड्या छे तेओनो उपदेश केटली बधी असर करशे ? सखाराम शेठे साधु विहार माटे उत्तम सगवडता करी आपी छे तेवी सगवडता करी आपीये तो कल्याण थाय. धर्मशाळा, पोषधशाळानां साधनो ज्यां न होय त्यां पुरां पाडवां जोइए, जेथी मुनिराजोने सारी सगवड थशे. जैनधर्म नास्तीक छे एवी भुल भरेली कल्पना फेलायली छे ते मुनिराजो दुर करशे अने जैनो पुरेपुरा आस्तिक छे ते बोध आपीने देखाडी आपशे. मुनीराजोना फरवाथी तथा उपदेशथी उत्तम तत्वो लोकोना जाणवामां आवशे अने तेथी धर्मनी उन्नती थशे. पंडित फतेहचंद लालनु भाषण. - हुं धारुंछ के धर्मोन्नतीनुं मुळ साधन साधुओज छे. तेओर्नु आगमन आ तरफ थाय तो धर्मोन्नती थई सरल मार्ग थाय. गुजरात काठिआवाडमां ज्यां साधुनां श्रवण हरवखत सांभळवामां आवे छे त्यां उन्नति छे अने अहीं अवनती छे एम मारु मानवू नथी. आंकना पाठनी माफक प्रतिक्रमण मोंढेथी उतावळु बोली जर्बु एथी कई उन्नति थती नथी. एक जण कहेशे के आ देश आर्य छे तेने हुं मळतो छु, कारण के आ भुमीपर सिद्ध भगवाने पोतानां पवित्र पगलां मुक्यां छे, परंतु आर्य काळे करी अनार्य थाय छे ने अनार्य. आर्य थाय छे, त्यारे हालमां आ देश अनार्य छे अने आर्य साधु महाराजाओगें काम अनार्यने आर्य करवानुं छे. श्री वीर परमात्माए अनार्यने आर्य कर्या छे. आपणे तेने वचने मात्रज नहीं पण वचने ने पगले चालवू जोईए एटले अनार्यने आर्य करवा जोईए. गुजरातमा घणा साधु, अने आ देशमां नहीं तेनुं कारण साधुने जोईए तेकां साधनोनी खामी होईनेज. विहारस्थानो अथवा उपाश्रयो जेवां जोईए तेवां हजु बन्यां नथी ते थवां जोईए. ते उपरांत साधु महाराजनो जे रीते विनय सचवाय तेवी तजवीजो करवी जोईए.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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