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१०४ जैन कॉन्फरन्स हरैल्ड.
[एप्रिल हमणां कहेला चार पुरुषार्थमांथी हाल फक्त त्रणज पुरुषार्थ प्रत्यक्ष रीते सधाय तेवा छे. बाकी जे त्रण रह्या तेमां पण धर्मने वधारे मान आप_ जोइए. कारण धर्म जाण्या वगर अर्थ अने काम ए बे पुरुषार्थ योग्य रीते सधाशे नहीं. सिंदुर प्रकरणमां कां छे केः
त्रिवर्ग संसाधन मन्तरेण । पशोरिवायुर्विफलं नरस्य ॥ तत्रापि धर्म प्रवरं वदन्ति । न तं विना यद्भवतोर्थकामौ ॥ १ ॥
अर्थः-धर्म, अर्थ अने काम ए त्रिवर्गनां साधन विना माणसनुं आयुष्य पशुना आयुष्य जेवू विफळ छे. ए त्रिवर्गमां पण धर्मने वधारे महत्त्व आप्युं छे. कारण धर्म विना अर्थ अने काम बराबर सधातां नथी.
ते माटे धार्मिक ज्ञान मेळववा बाबत सारो प्रयत्न यवो जोइए. हाल आपणा लोकोमा धार्मिक ज्ञाननी बहुज ओछाश छे. आपणामां पेहेलां बहुज विद्वान आचार्यों थई गया छे. तेओए बहुज सारा ग्रंथो लख्या छे. अन्य धर्मी विद्वानो साथे वादविवाद करी मोटा मोटा विजयो मेळव्या छे, अन्य धर्मी राजाओने जैन धर्ममां बुझव्या छे. श्रीमद् सिद्धसेन दिवाकर महाराजे कोई दिवस वैष्णव धर्म छोडी जैन धर्म अंगिकार करे नहीं एवा विक्रम राजाने पोताना प्रभावथी कल्याणमंदिरस्तोत्र रची अगियारमा श्लोकनी वखते पार्श्वनाथ स्वामीनी मूर्ति प्रकट करी ए राजाने जैनधर्म अंगिकार करवा मोह लगाड्यो हतो. तेमज चारसो वर्ष पेहेलां श्री हीरसूरीजी महाराजे अकबर बादशाहनी कचेरीमा जैनधर्मनो जय मेळव्यो छे. ते वखतना श्रावको पण बहुज विद्वान अने सारं धर्म ज्ञान धरावनारा हता. भगवतीजीमां ज्यंती श्राविकाए प्रश्न पछ्या छे ते उपरथी ए सिद्ध थाय छे के ते वखतनी श्राविकाओ पण बहु उंडु धर्मज्ञान धरावती हती. हालमां आपणा मुनीराजोमां विद्वान अने परधर्मी साथे वादविवाद करी जैनधर्मनो विजयध्वज फफडावनारा केटला मुनिराज निकळशे ? गृहस्थो, बहुज थोडा. गृहस्थो, खरेखरज आ दयाजनक स्थिति छे. जेना उपर आपणो बधो आधार, जेनाथी आपणे बंधी जात, सुख मेळववा यत्न करीए छीए, जेनाथी आपणी छेल्ली नेम जे मोक्ष ते मेळवी शकीशुं, ते धार्मिक ज्ञान विषे आपणी आ स्थिति ए बहुज अफसोसनी वात छे. माटे आपणामां जेम धार्मिक केळवणी वधे तेम वधारवा आपणे प्रयत्न करवो जोइए. आपणां बाळकोने नानपणमाथीज आ केळवणी मळवी जोइए, अने ते माटे छोकराओ उपर अभ्यासनो बोजो वधारे न पडे अने आपणो आ उद्देश सफळ थाय तेवी रीतना उपायो लेवा जोइए. .
हालनी पद्धती प्रमाणे व्यवहारिक अभ्यासनी साथेज धार्मिक शिक्षण अपाय ते माटे आपणे हाइस्कुलो अने कॉलेजो स्थापवी जोइए अने मिशनरी स्कुलो तथा कॉलेजोनी माफक रोज अडधो पोणो कलाक धार्मिक शिक्षण अपावू जोइए. एम थवाथी व्यवहारोपयोगी शिक्षण पण मळशे अने धर्मज्ञान पण सारं मळशे.
व्यवहारोपयोगी शिक्षणनी बाबत मां पण हालनी शिक्षणपद्धति बदलवी जोईए. कारण के हाल जे शिक्षण होय छे एमां तो वांधो नथीज, पण एनी हाल एटली बधी जरुर नथी. बीजगणित, भूमिती अने त्रिकोणमिती जेवा वीषयो के जेनो व्यवहारमा बहुज थोडो उपयोग थाय छे तेवा वीषयो ज्योतिष शास्त्र जेवा अमुक एक वीषयने खास जरुरना छे, पण व्यवहारमा तेनो घणो उपयोग थतो नथी, माटे