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आमलनेर कोन्फरन्स. ----- (१) प्राथमिक केळवणी साथे धर्मनो अभ्यास करवा माटे शाळाओ, (२) उंचा प्रकारचं धर्म शिक्षण मेळववा माटे पाठशाळाओ, (३) केळवणीने उत्तेजन आपवा माटे स्कोलरशीपो तथा बोडिगो, (४) कन्याशाळाओ, (५) पुस्तकालयो, (६) शारीरिक केळवणी माटे शारीरिक शिक्षणशाळाओ,
(७) वेपारने लगतुं शिक्षण मेळववा माटे वर्गो, विगेर स्थापन करवानी खास जरूर छे अने धार्मिक पुस्तको प्रगट करवा तेमज मासिको तथा जैन समाचारोनो प्रचार वधारे करवानी आ सभा खास जरूर जुवे छे. तेमज घणा लोको धार्मिक खातांओमां पैसा खर्च करे छे तेओए आ अगत्यना खाता तरफ प्रथम लक्ष आपवानी अने मोटा फंडो आ खाता माटे उघाडवानी आ सभा घणी आवश्यकता जुवे छे."
आ दरखास्तने मी० भागचंद छगनदासे टेको आप्यो हतो अने मेसर्स गोविंदजी खीमजी तथा मोहनलाल अमरसी तथा मि. मावजी दामजीए अनुमोदन आप्या बाद ते सर्वानुमते पसार थएली जाहेर करवामां आवी हती.
मी० डाह्याभाई चुनीलालनु भाषण... मे. प्रमुख साहेब अने गृहस्थो, पृथ्वी उपरनां प्राणिओ तरफ आपणे नजर फेरवी विचार करीशं के बधां प्राणिओमां माणसनेज केम श्रेष्ठ गण्यो छे ? आपणे कहीशु के माणसमां शाक्त वधारे छे तेथी तेने श्रेष्ठ गण्यो छे पण बीजां घणां प्राणी एवां शक्तिवाळां छे के माणसनुं बळ तेमना आगळ कांईज नी. साधारण दाखलो-बळद अने धोडाओमां जेटली शक्ति छे तेटली पण माणसमां नथी तो हाथी वाघ अने सिंह जेटली शक्ति तो माणसमां क्याथीज होय ? पछी माणसमां शक्ती वधारे क्यांथी अने एने श्रेष्ठ शा माटे गणवो जोईए ? गृहस्थो, हुं कहुं छं के माणसमांज शक्ति वधारे छे अने तेथीज एने श्रेष्ट गण्यो छे. माणसमां शारीरिक शक्ति वधारे नथी पण एनामां बुद्धिबळ छे तेज बहु वधारे छे अने तेथीज ते हाथी, वाघ अने सिंह जेवां प्राणीओने छुटां छतां बांधी शके छे अने पांजरामां नाखी शके छे अने आटलो मोटो हाथी तेने एक वेहेत जेटला अंकुशथी वश राखे छे. ते बुद्धिबळ वधारनारूं ज्ञान मेळववा दरेक माणसे प्रयत्न करवो जोईए.
धर्म, अर्थ, काम अने मोक्ष ए चार पुरुषार्थ छे ते साधवा आपणने ज्ञाननी जरूर छे. ज्ञान ए अखंड ज्योति छे. संसारना गहन अने अंधकारमय प्रदेसमांथी जवा माटे ए ज्योति आपणे साथे राखक वी जोईए. ए ज्योतीविनाना माणसने शास्त्रकारोए पशुसमान गण्यो छे.
आहार निद्रा भय मैथुनानि । समानि चैतानि नृणां पशूनाम् ॥ - ज्ञानं विशेषोप्यधिको नराणां । ज्ञानेन हीनाः पशुभिः समानाः ॥ १ ॥
अर्थः-आहार, उंघ अने मैथुन ए त्रण माणस अने पशु बनेने होय छे पण माणसमां विशेष ए छे के तेने ज्ञान होय छे. ज्ञान जो न होय तो ते माणस पशु जेवो छे.