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________________ १०२ जैन कोनफरन्स हरैल्ड. [एप्रिल पेहेलो ठराव-जैन कोन्फरन्सनी हीलचालने धन्यवाद. ___ प्रमुख नगरशेठ चिमनभाई लालभाईए पेहेलो ठराव सभानी बाहाली माटे नीचे मुजब रजु क्या हतो: ___" समस्त आर्यावर्तनी जैन कोमनु श्रेय करावनारी, जिन बिंब, जिनमंदिरआदि सात क्षेत्रोमां समयानुसार उद्धार करनारी, स्यादनय युक्त श्री जिनाज्ञाधारक सकळ संघनी उद्धारिणी जैन (श्वेताम्बर ) कोन्फरन्स दर वर्षे भराय छे, तेना समस्त हेतुओ आ सभा घणा आनंदथी मान्य करे छे अने तेना प्रवर्तकोनुं अने तेमने मदद करनाराओगें हमेश श्रेय चाह्य छे अने ते कॉन्फरन्स सदा विजयवंत वर्ते एवं आ सभा अंतःकरण पूर्वक इच्छे छे." उपलो ठराव सर्वानुमते पसार करवामां आव्यो हतो. बीजो ठराव-नामदार शेहेनशाह तथा महाराणीनो मानवामां आवेलो आभार. बीजो ठराव प्रमुख नगरशेठ चिमनभाई लालभाईए बाहाली माटे नीचे मुजब रजु को हतो:--- ___" आपणी उपर राज्य करनारा ब्रीटिश शेहेनशाह महाराजाधिराज सातमा एडवर्ड तथा महाराणी एलेक्झनद्रा जेओना आश्रय नीचे अमो शांतीथी नागरिक सुख भोगवीए छीए, तथा जेमना उदार दयाळु छत्र तळे यथेच्छ धर्म स्वातंत्र्य भोगवीए छीए, ते प्रौढप्रतापी बादशाह . तथा महाराणी चिरंकाळ सुधी संतति, संपत्ति, सुख, अने आरोग्य भोगवो अने जैनसमाज जेवी शांती प्रिय कोमने तेओ सुख शांति आपो एवं आ सभा दीलोजानीथी चाहे छे." उपलो ठराव सर्वानुमते पसार करवामां आव्यो हतो. त्रीजो ठराव-मुनिमहाराजोनो मानवामां आवेलो आभार. त्रीजो ठराव प्रमुख नगरशेठ चिमनभाई लालभाईए बहाली माटे नीचे मुजब रजु को हतो: " आ काळना महापंडित जैनशास्त्रपारंगत आचार्य श्रीमद्वीजयानंद सूरीश्वरना संघाडामांना साधुवर्यो श्रीमद् हंस वीज्यजी, श्रीमद् अमर वीज्यजी, तेमज श्रीमद् राजवीज्यजी आदि साधुमंडळे दक्षिण देशमां पधारी अमोने धर्मोपदेश करी अनेक धर्मोन्नतीनां कामो का ते माटे, तथा तेमां पण मुनिवर्य श्री अमरवीज्यजीए आ सभानु काम हाथ धरवा माटे जे अथाग मेहेनत करी लोकोने उपदेश आपी धर्मोन्नतिनो खरो मार्ग बतावी आप्यो ते माटे आ सभा तेमनो अंतःकरणपूर्वक आभार माने छे." उपलो ठराव सर्वानुमते पसार करवामां आव्यो हतो. चोथो ठराव-केळवणीनो प्रचार. केळवणीना प्रचारना संबंधमां मी० डाह्याभाई चुनीलाल शराफे नीचे मुजब दरखास्त मुकी हती. ___“ धर्म, अर्थ, काम, अने मोक्ष ए चार पुरुषार्थ साध्य थवा माटे पुरुषवर्गमां तेमज स्त्रीवर्गमा पण व्यवहारिक, धार्मिक, नैतिक, तथा शारीरिक केळवणीनो प्रचार करवा माटे,
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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