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________________ વિવિધ નૈધ ર૫૧ " (1) The total number of stu- सभने बा मोसमामा माया छ रे । नाये dents who took the Jain courses du- ५ शयछाये. ring the last five years is 30. श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स, २० पायधुनी, बम्बई (2) Out of these 30, three were नं. ३. मान्यवंता शेठजी नगीनदास करमचंद तथा non-Jain Students. चीनुभाई लालभाई सोलीसिटर योग्य. ली. श्री नवीनSd/-Indradeva Tiwary M. A. हाला x x x से शेठ रामलालजी सेठ भैखदासजी Acting Registrar. का जयजीनेंद्र वंचना x ४ विशेष कृपापत्र १ आप साहबों का नं. ४८८ ता. २४-१-२८ का लिखा हुआ રાજા-સત્યાનંદપ્રસાદસિંહનો ઉપરનો પત્ર તથા (रजीष्टर) हमारे और शेठ लखमीचंदजी के नामसे - બનારસ હિંદુ યુનિવર્સીટીને છેવટને ઉપર ઉતારવામાં ता. ३०-१-२८ को पोष्टद्वारा आनकर मिला. समाचार આવેલો એ પત્ર બને, સંસ્થાની તા. ૧૪-૨-૨૮ वांचने से सारा हाल मालम हुआ. आप लिखते हो के ની મળેલી સ્ટેનીગ કમિટીની બેઠકવેળાએ રજુ કરવામાં २०१ ३२पामा हमे यहां उपदेशक पुंजालाल प्रेमचंद शाह द्वारा मालुम सावतां सर्वानुमतेशामां आव्युं तु, "ना- . हआ है के आप वहां के देरासर का काम संभालते રસ હિંદુ યુનિવર્સીટીમાં જનધર્મ સબંધી તથા ડૅલર્સીપ ; "५ हैं तथा हिसाब विगेरेका वहीवटभी आपके हस्तक है. સબંધી કલકત્તા કંન્ફરન્સમાં જે ઠરાવ થયો છે તેની हमे यह भी पता चला है कि वहां के आमदनी, હદમાં રહીને તેના સંબંધમાં વિચાર કરીને તથા તે खर्च, सिलक विगेरेका हिसाब आपने पंचोके समक्ष સબંધી થએલ પત્રવ્યવહાર પર વિચાર કરી સ્ટેન્ડીંગ जाहीर नहीं किया है. इतनाही नहीं लेकिन हिसाव કમિટીને રિપોર્ટ કરવા નીચે લખેલા ગૃહસ્થની એક मांगने पर भी आपके तरफसे आना-कानी करनेमे કમિટી નિમવામાં આવે છે. સદરહુ કમિટીને ઉપરની आती रही है. इसीका उत्तर आप साहबों के ध्यान બાબતમાં બીજી જે કાંઇ યોગ્ય સૂચના કરવી હોય उपर बेठाने के लिए लखने में आता है कि हमारे તે કરવાની છૂટ આપવામાં આવે છે. કમિટીએ पास पंचो का सोंपा हुआ श्री मंदिरजीका कोई हिसाब પિતાને રિપોર્ટ બે માસમાં કરો. किताब नहीं है और नहीं पंचोने हमारे पास मांगणी सध्यानां नाम-: २१. मोतीय. नि. पा . (हिसाब विगेरे की कीई है) लेकिन शेठ लखमीचंदजी २. भ... भ्हता. २१. मौनमाला. मी. के बड़ेरो के बखत से मंदिरजी का तथा पंचायती अश. २२. मेध्यामहीमा." सभी कारभार संभालना इनो के तालुके रहा है मगर दैवयोग से शेठ लखमीचंदजी का पिताश्री तथा पांच २ श्री. SRI (सि५)ना रास२७।। भाई दो भतीजे एकदम आठ रोज मे इन्फ्ल्यु एंजा की વહીવટ કર્તાઓને ખુલાસે. बिमारीमे गुजर गये. इतनी बड़ी चोट लगने से इनका संस्थाना पश: MALE भयशाल चित्त बहुत विह्वल हो गया जिस वजह से ज्यादातर चाताना सिंघना प्रवास भीमानामा भुमे कामतो इन्होंने सभी पंचो के सुपरद कर दिया है गणेसा भने त्यांना शसन वीर संमधे बाकी हिसाब के लिए इनका कहनाथा के धीरज के रे ता अभने गावामां पीती ना साथ हम तैयार करके पंचोके सुपरद करेंगे वो वात Aditi (पोष) ४२वामां आव्योछे. सह सभी पंचोने मंजुर करी थी मगर दो चार सख्सो पीट याने तेमन अन्य स्थाने २७२८२ (आदमीयों) ने नामालुम कोनसी जघीयत से पंचोमें पत्र समीत भांगवामां आवतi, 1 श्री ऊठकर खड़े होकर कहने लगें के हमने तो अमुक ३२।१२। बड़ी ताया तथा मे मुखास प्रतिज्ञा ली है सो हमतो हिसाब अभी लेंगे। जब
SR No.536287
Book TitleJain Yug 1984
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1984
Total Pages622
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Yug, & India
File Size49 MB
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