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જૈન યુગ
મે ૧૯૫૯
ले सकते हैं । यहाँ सिर खूब चौड़ा है, स्थूल अधर काफी सटे हुए हैं, तथा अर्द्ध निमीलित नेत्र कुछ अधिक बाहर की ओर झुके हुए हैं | उठी हुई भ्रकुटियां दृढ़ता और आन्तरिक एकाग्रता के भाव को पुष्टि प्रदान करती हैं । यहाँ गौण प्रतिमाओं तथा सज्जागत तत्त्वों का प्रायः अभाव है। जबकि मन्दिर नं. २१ की प्रतिमा मन्दिर नं. १५ की आसनस्थ जिन-प्रतिमा की परम्परा को अक्षुण्ण बनाये हुए है, हम इस जिन-प्रतिमा को नं. १२ के गर्भगृह में स्थित खड़ी जिन-प्रतिमा से सम्बन्धित मान सकते हैं। आलंकारिक और अनालंकारिक मूर्तिकला के इस स्पष्ट अन्तर को हम देवगढ़ के जैन मन्दिरों में स्थित प्रायः सभी मूर्तियों में लक्षित कर सकते हैं।
हम इस संभावना से इन्कार नहीं कर सकते कि देवगढ़
में दो विभिन्न शैलियों' का समसामयिक प्रयोग किया जाता रहा हो। कला के इतिहास में विभिन्न शैलियों का सह-अस्तित्व एक परिचित घटना है। परंतु किसी अपरिपक्क निष्कर्ष से बचने के लिये मूर्तियों में प्राप्त होनेवाले भेदों की व्याख्या हम इस लेख में शैलियों के आधार पर नहीं वरन सज्जागत तत्त्वों अथवा मुख संघटना के स्वतंत्र महत्त्व से करना चाहते हैं।
इस छोटे से लेख में देवगढ़ के समस्त स्मारकों का एक साधारण सर्वेक्षण भी संभव नहीं। वास्तव में इन पंक्तियों को लिखने का मेरा केवल यही प्रयोजन है कि जिस दृष्टिकोण से मैंने इन स्मारकों को देखा है उसका मैं यहाँ स्पष्ट निर्देश कर दूँ।
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"मध्यमवर्गना उत्थानना मार्गो"
जैन युग ईनामी निबंध श्री जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्सना "जैन युग" व्यवस्थापक मंडळ तरफथी "मध्यमवर्गना उत्थानना मार्गो" मे विषय उपर हिंदी, गुजराती अथवा अन्ग्रेजी भाषामां निबंधो आवकारवामां आवे छे. ते अंगेनी शरतो आ प्रमाणे छे:
(१) निबंध फुलस्केप साइझना कागळ उपर एक बाजू चार हजार शब्दोमां चोख्खा अक्षरे लखायेला होवो जोईये.
(२) निबंधो ता. १५ मे, १९५९ सुधीमां रजीस्टर्ड पोस्टथी मोकली आपवा.
(३) निबंधो " जैन युग" व्यवस्थापक मंडळ द्वारा तपासवामां आवशे अने तेनो निर्णय छेवटनो अने लेखकने बंधनकर्ता गणाशे.
(४) प्राप्त थयेल निबंधोनी मालिकी वगेरेना सर्व हक्क श्री जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्सना “ जैन युग" व्यवस्थापक मंडळना रहेशे.
(५) श्रेष्ठ निबंध लखनारने अनुक्रमे प्रथम, द्वितीय अने तृतीय रू. १५०), रू. १००) अने रू. ५०) इनामो आपवामां आवशे. (६) निबंध लखनारे पोतानु पूरुं नाम, ठेकाणु, गाम वगेरे निबंध साथे जुदा कागळ उपर लखवां. निबंधो नीचेना सरनामे मोकलवा :
तंत्रीओ, जैन युग c/o श्री जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्स गोडीजी बिल्डिंग, २०, पायधुनी, कालबादेवी, मुंबई २